ये किताब एक ऐसी नारी की कहानी कहती है जो अपने मानस और सलाहियत की पतवार लेकर जीवन भंवर में उतर जाती है और फिर शुरू होता है आसमान में घूमते नक्षत्रों की चाल के साथ उसका केटवॉक। एक संपन्न परिवार में कई भाई बहनों के बीच जन्म लेकर भी उसे अपने साथ नक्षत्रो
यह एक ऐसी महिला ( बिंदु ) की कहानी है जो खुद अस्तित्व बचाने के लिए अपने गांव से भाग जाती है लेकिन समय के चक्र में वो फिर उस गांव में 15 साल बाद एक डॉक्टर के तौर पर गांव वालो की जान बचाने वापस आने पड़ता है । बिंदु कैसे समाज के संकीर्ण सोच से टकराते ह
भोगने की प्रक्रिया जितनी जटिल है, भोग आत्मसात करके एक दृष्टि के रूप में विकसित कर पाना उससे भी दुरूह। वर्णसंकरता और सहकारिता के विराट दर्शन में अकूत विश्वास के बावजूद कविता है तो शर्मीली-सी, कमसुखन विधा। ऊपर से आदमी भी एक क्लिष्ट जीव है-भोगे और कहे ह
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 ➡️ क्या कहूं दोस्तों .... ➡️ जो करना नहीं चाहती , ➡️वही किए जा रही हूँ , ➡️शायद अपनों के लिए ही , ➡️जिये जा रही हूँ... ! ➡️ ना जाने किस बात की ➡️झूठी तसल्ली दिए जा रही हूंँ, ➡️थम सी गई है जिंदगी , ➡️ यादों की सुनहरे पन्नों मे
‘मेरे क़िरदार थोड़ा इसी समाज से आते हैं, लेकिन समाज से कुछ दूरी बरतते हुए। मेरी कहानियों में ‘फ्रीक’ भी जगह पाते हैं, सनकी, लीक से हटेले और जो बरसों किसी परजीवी की तरह मेरे ज़हन में रहते हैं। जब मुकम्मल आकार प्रकार ले लेते हैं, तब ये क़िरदार मुझे विव
मैंने अपने इस उपन्यास में औरत के आंतरिक संघर्ष और अंतर्द्वंद को दर्शाने के साथ साथ उसको अपने वज़ूद को क़ायम रखने के लिए कितना मानसिक कष्ट सहन करना पड़ता है जिससे वह अपनी नारी गरिमा को भी बनाए रख सके अन्यथा उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
औरत जीवन-भर दूसरों की खुशियों और ख्वाहिशों को पूरा करने में लगी रहती है इस चाहत में की उसकी ख्वाहिशें भी शाय़द पूरी हो जाए पर ऐसा होता नहीं है हक़ीक़त तो यह है औरत की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती वह जीवन के अंतिम क्षण तक अधूरी ही रहतीं हैं औरत के इसी
नारी जीवन दर्पण सूना क्यों नारी मन शदियों से रीत रिवाज़ के दायरों में जीवन जीती है नारी वक्त बदला सोच बदली नारी जीवन अब भी कायदे है जारी अब भी कहीं बाल विवाह से बचपन मुरझाता कहीं अबला समझ अपना ज़ोर आजमाता कोई विधवा जीवन जीने को मजबूर कोई घरेलू हिंस
एक लड़की किसी एक इंसान के लिए, अपना पतिवार,अपने रिश्ते नाते छोड़कर छोड़ कर इस उम्मीद से आती है, कि उसका एक सच्चा साथी सुख-दुख बांटने वाला खुशियां देने वाला सहयोगी होगा। वह नए रिश्तो को अपनाकर सभी को खुशियां देने , घर को सजाने संवारने की कोशिश क
ग्रामीण अंचल में पली बढ़ी लड़की का ग्रामीण-शहरी माहौल में आकर उस माहौल की दिक्क़ते झेलते हुए ख्वाब बुनने और उन खाव्बो को कभी हकीकत बनते और कभी ढेर होते देखने की कहानी .
औरत के मन के अहसास औरत के मन की बात कुछ अनकही रह जाए कुछ अनसुनी के दी जाए
जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती, स्त्री विशेष कहानियों का संग्रह है यह पुस्तक lइसमें नारी के संघर्ष, प्रेम ,तिरस्कार और साहस जैसे विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया हैl
मनमोहिनी एक ऐसी लड़की मोहिनी की कहानी है जो बहुत ही खूबसूरत है और उसके पास कुछ विशेष प्रकार की शक्तियां है ,जिसके कारण उसके पिता उसे दुनिया वालो से छुपाकर रखना चाहते थे।मोहिनी इतनी ज्यादा खूबसूरत थी कि जो भी उसको देखता ,देखता ही रह जाता।मोहिनी अपने रू
इस कहानी में एक लड़की विधि को जिंदगी के बारे में बताया गया है।की जब वह चरित्रहीन नही थी तब उसे चरित्र हीन बोल कर बदनाम किया किया,लेकिन जब वो अपना मुकाम हासिल करने के लिए खुद चरित्रहीन बन जाती है तो समाज उसे उसे इज़्ज़त देने लगता है।वही दूसरी ओर मीरा की
यह स्त्री पर होने वाले अत्याचार और नारी की सहनशीलता का वर्णन है।
कई बार जो हमे दिखता हैं वो सच नहीं होता..।
All about the woman's struggle, lifestyle,sacrifices and care
इस उपन्यास में - 25 भाग है यह उपन्यास एक स्त्री के जीवन संघर्ष पर आधारित है। लेखिका - ममता-यादव (प्रान्जलि काव्य) पूर्णतः मौलिक व स्वरचित तथा सर्वाधिकार सुरक्षित रचना