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वो अपने सोच कि दुनियां से बाहर आया और फिर फ्रेश होने चला गया । थोड़ी देर में वो अच्छे से तैयार होकर नीचे आया ।
अब आगे
प्रशांत को नीचे आते देख कर उसकी मॉम उसके डैड से धीरे से बोली — देखा आपने डांट कर बोल दी तो कैसे तैयार हो कर नीचे आया है । अगर यही बात मैं प्यार से बोलती तो ये मेरी बात कभी नहीं मानता । इसे प्यार की भाषा समझ नहीं आती हैं 😀 , बिल्कुल आपकी तरह । ये कहकर प्रशांत की मॉम हंसने लगी । प्रशांत के डैड मुस्कुरा कर कहें — ओह ... अच्छा मेरी तरह ...😊 लेकिन मुझे तो वो आपकी तरह लगता है ..... जिद्दी 😀 । प्रशात की मॉम उसके डैड की ये बात सुनी तो वो अपनी भौवें 🤨 थोड़ी सी उचका कर उनके तरफ देखी । जैसे वो कह रही हो कि मैं बाद में अच्छे से आपकी खबर लेती हूँ और वो इस बात को बदलते हुए प्रशांत के तरफ इशारा करते हुए उन्से कहीं — आप देखते रहिए ... कैसे मैं इसको रास्ते पे लाती हूँ ।
प्रशांत के डैड अपनी वाइफ की बात सुनकर मुस्कुरा दिए , क्योंकि वो भी तो यहीं चाहते थे , कि प्रशांत की भी अपनी फैमली हो और वो खुश रहे अपने लाइफ में ।
कुछ मिनट बाद सब लोग (यानी की चारो लोग ) डाइनिंग टेबल पर आ गये । प्रतिक्षा सबसे पहले सबको अपने हाथ से बना हल्वा दि , अपने सासू माँ के कहे अनुसार । हल्वा खाते उसके सास - ससुर उसकी तारिफ करने लगे और कहने लगे कि — वाह बेटा तुम्हारे हाथ में तो जादू हैं बहुत अच्छा बनाई हो तुम । इस वक्त प्रतिक्षा बहुत खुश हो रही थी अपनी तारीफ सुनकर अपने सास और ससुर से । उन दोनो की भी चेहरे से साफ झलक रहा था कि वो भी बहुत खुश है ।
प्रशांत के डैड खाना खाते हुए प्रतिक्षा से खुश हो कर बोले — बेटा हम तो पहले सोचते थे कि पता नहीं कैसी बहु मिलेगी , अच्छे से रहेगी या नहीं हमारे साथ लेकिन देखों अब वो डर भी खत्म हो गया और तो और तुम खाना भी बहुत अच्छा बना लेती हो । सब लोग के हाथ से खाना अच्छा नहीं बन पाता है ।
प्रशांत की मॉम भी बहुत खुश थी अपनी बहु की हाथ का खाना खा कर । प्रतिक्षा ने सारा खाना बहुत ही स्वदिष्ट बनाया था ।
जहां प्रतिक्षा के सास और ससूर ने उसकी खूब तारीफ की वहीं प्रतिक्षा के पति परमेश्वर बिल्कुल चुप थे । बस हाथ और मुंह चल रहा था । 😄
प्रशांत की मॉम उसे चुप देख कर उससे बोली — प्रशांत क्या हुआ है ? तुम्हे अच्छा नहीं लगा क्या प्रतिक्षा के हाथ का हल्वा और खाना ? इतनी अच्छी बनी है फिर भी तुम उसकी थोड़ी सी भी तारीफ नहीं किये । 🤨 क्या बात है ... ? हम्म .. .
प्रशांत की मॉम को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा उसका यूं चुप रहना । आज वो इतने प्यार से खाना बानाइ है और वो कुछ भी नहीं कहा । उन्हें लग रहा था कि कहि प्रतिक्षा को बुरा ना लग जाए प्रशांत को यूं चूप - चूप देखकर ।
जबकि प्रतिक्षा अंदर ही अंदर हंस रही थी प्रशांत के ऊपर 😄 । वो सोच रही थी कि ये बेचारा कितना डर रहा है अपनी मॉम से 😄 , मैं तो डरती ही नहीं हूँ और कोई अपनी माँ से इतना भी डरता है क्या ? 😄😄
क्रमश: ....