उम्मीदों वाली धूप, सनशाइन वाली आशा
रोने की वजहें कम है, हँसने के बहाने ज्यादा
ज़िद है मुस्कुरायेंगे,
नए साल का है ये वादा
इस साल फ़ैसला कर लो, हर हाल में खुश रहना है
बस अच्छा सा सुनना है, बस अच्छा सा कहना है
तो खुल के ख़ुशी लुटाओ, ये क्या है आधा-आधा
उम्मीदों वाली धूप, सनशाइन वाली आशा
ज़िद है मुस्कुरायेंगे, नए साल का है ये वादा
एक लाइफ़ मिली है सबको, पर वो ही ख़ुश रहता है
जो हाथ छुड़ाके ग़म से, बस नदियों सा बहता है
जो बीता पीछे छोड़ो!, नए साल में नया इरादा
ज़िद है मुस्कुरायेंगे,
नए साल का है ये वादा!
—अनुराग विश्वकर्मा