
अलसाई सी भोर को,
पंछियों के शोर को,
कलियों को, फूलों को,
मीठी सी भूलों को,
दिल में उठती
उमंगों को, तरंगों को,
आसमान में लहराती
बलखाती पतंगों को,
तितलियों के रंगों को,
कोहरे की चादर लपेटे
झूमते शहरों को,
गुनगुनाती दोपहर को,
सर्द रातों को,
रजाई में दुबकी
बातों को,
बाहें फैलाए लम्हों को
तसल्ली देते शानों को,
सुने-सुनाये बहानों को,
मांझी के जालों को,
बच्चों के गालों को,
उम्मीदों की बहारों को,
पनघट के इशारों को,
गाँव के नजारों को,
खेतों को,
किसानों को,
सरहद पर डटे
जवानों को...
कश्मीर से
कन्याकुमारी तक
सोते-जागते
सपनों को
सात समंदर पार
हमारे अपनों को
दिलों में उठती
हर उमंग,
हर तरंग,
हर धड़कन को
नूतन वर्ष की
हार्दिक शुभकामनाएँ...!