
जीवन ! आना-जाना है,
सुख-दुःख ताना-बाना है;
पुरुषार्थ किरण है उषा की
भाग्य तो एक बहाना है I
ना हों निर्मित भव्य महल,
आओ करें बस एक पहल;
मिट्टी के अदने लोंदे से
प्रभु-मूरत एक बनाना है I
19 नवम्बर 2015
जीवन ! आना-जाना है,
सुख-दुःख ताना-बाना है;
पुरुषार्थ किरण है उषा की
भाग्य तो एक बहाना है I
ना हों निर्मित भव्य महल,
आओ करें बस एक पहल;
मिट्टी के अदने लोंदे से
प्रभु-मूरत एक बनाना है I
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D