हर दिन उगता है सूरज,
कभी इसके नाम, कभी उसके नाम;
हर दिन गाते हैं पंछी,
कभी इसके नाम, कभी उसके नाम.
नदियां करती हैं कल-कल...
भौंरे गाते हैं गुन-गुन,
हवा बहे, कहे सुन-सुन-सुन,
तू प्यार की मीठी-मीठी धुन,
ये सोनी सुबह, सिन्दूरी शाम,
कभी इसके नाम, कभी उसके नाम.
बहुत हुआ,
उठ, अब तू चल,
बीत रहा है, एक-एक पल,
बांहों में सूरज भर ले,
गोदी में चंदा ले चल,
लाखों तारे, लाखों मुकाम,
कभी इसके नाम, कभी उसके नाम.
रात के बाद है आता दिन,
जहाँ' अधूरा है तुम बिन,
तुझ जैसा कोई और नहीं,
कभी तो कर ले खुद पे यक़ीं,
तू सुन, पल-पल का पैग़ाम,
कभी इसके नाम, कभी उसके नाम...