
बिटिया पढ़ती है पढ़ने दो,
दुनियादारी अब मत सोचो,
लोगों का काम है कहा करें,
जो कहते हैं, उन्हें कहने दो।
छूने दो उन्नति-श्रृंग-शिखर,
हिमगिरि पर उसे चढ़ने दो;
क्या बेटा, और क्या बेटी,
उन्मुक्त गगन में उड़ने दो,
नए आयामों की होड़ लगी,
अब मान देश का बढ़ने दो।