जून में गर्मी के दिन थे बहुत बेहाल सूरज ने भी रूप बनाया था विकराल तभी की बात बताता हू एक छोटा सा किस्सा आपको सुनाता हूं। कि विचारो का द्वंद कैसे हावी हो जाता है किसी को समझे बिना भला बुरा कह जाता है जीवन परिचय के दर्शन का बोध करता हू । मै ए
Meri apni Kahani jo ki Meri Jindagi Aur meri life se Judi hai main isko Apne jahan tak Maine Apni Jindagi ji Hai Baki short Mein Kahani se long mein bhi ismein Yahi Pata chalega ki maine ismein sunaya Aur Main Aage apni Kahani ke bare mein aur Main a
करौली जिले में अवस्थित कैला मैया के दरबार में हाजिरी लगाने और पौत्र शिवांश का रजिस्ट्रेशन बीजासनी माता के यहां करवाने को लेकर यह यात्रा दुर्गाष्टमी के दिन शुरू की थी जो रामनवमी को समाप्त हुई । इस यात्रा का वृत्तांत इस रचना में प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
मेरा नाम मुहम्मद असलम खान है लेकिन लोग मुझे असलम बांदवी के नाम से जानते हैं मेरा जन्मस्थान ग्राम लौमर पोस्ट चिल्ला तारा तहसील पैलानी ब्लॉक तिंदवारी जनपद बांदा उत्तर प्रदेश है पिन कोड 210123मोबाइल नंबर 8108443600 वॉट्सएप नंबर 93221878
मैं उस आदमी से दूर भागना चाह रहा था जो लिखता था। बहुत सोच-विचार के बाद एक दिन मैंने उस आदमी को विदा कहा जिसकी आवाज़ मुझे ख़ालीपन में ख़ाली नहीं रहने दे रही थी। मैंने लिखना बंद कर दिया। क़रीब तीन साल कुछ नहीं लिखा। इस बीच यात्राओं में वह आदमी कभी-कभी मेर
प्रिय पाठक, रोमांचक का यह पहला पाठ आपके जीवन दर्शन सोचने पर मजबूर करेगा यह पाठ आपके यह बताएगा की जीवन में रोमांच का होगा कितना जरूरी है आशा करता हु आपको यह पसंद आएगा और इसमें आप रुचि लेंगे अगला पाठ जल्दी ही आप तक पहुंचाया जाएगा धन्यवाद
यह पुस्तक समावेश है यात्रा-वृत्तांत और वीरों से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों का, जिसमें लेखक ने प्रयास किया है कि वे अत्यंत रोचक तरीके से आज की पीढ़ी को हमारे देश के स्वर्णिम इतिहास से अवगत करवाएँ। इस पुस्तक की शुरुआत 1857 की क्रांति से जुड़े स्थानों जैसे क
लेखक ऋषि राज को दो बार कारगिल जाने का अवसर प्राप्त हुआ है। अपनी इन यात्राओं के दौरान उन्होंने उन जगहों को बहुत नजदीक से देखा, जहाँ हमारे वीर शहीदों के बलिदान की अमर गाथा लिखी गई। द्रास, कारगिल, काकसर और बटालिक के इलाके मूक गवाह हैं, हमारे जवानों द्वा
दिल्ली से पूर्वी उत्तर में स्थित जौनपुर की एक बार यात्रा करते हुए डॉ. कलाम बादशाहनगर नामक छोटे से शहर में चाय पीने के लिए रुके। अपने आसपास के नजारे देखकर उन्हें हैरानी हुई। जगह-जगह दूर-दराज से पैसे को मोबाइल ट्रांसफर करने की सुविधा प्राप्त थी और हिन्
दुनिया के एक अजूबे, वीरान और बर्फ़ीले द्वीप की यात्रा जहाँ लेखक वाइकिंगों और ‘गेम ऑफ़ थ्रोन्स’ के किरदारों से गुजरते हुए तांत्रिकों की दुनिया में पहुँच जाते हैं। एक ऐसी आधुनिक पश्चिमी भूमि जहाँ अंधविश्वास और भूत-प्रेत संस्कृति में गुंथी हुई है। भूकंप
‘साँझ की उदास-उदास बाँहें अँधिआरे से आ लिपटीं। मोहभरी अलसाई आँखें झुक-झुक आईं और हरियाली के बिखरे आँचल में पत्थरों के पहाड़ उभर आए। चौंककर तपन ने बाहर झाँका। परछाई का सा सूना स्टेशन, दूर जातीं रेल की पटरियाँ और सिर डाले पेड़ों के उदास साए। पीली पाटी
जितनी बड़ी दुनिया बाहर है, उतनी ही बड़ी एक दुनिया हमारे अन्दर भी है, अपने ऋषियों-मुनियों की कहानियाँ सुनकर लगता है कि वे सिर्फ़ भीतर ही चले होंगे। यह किताब इन दोनों दुनियाओं को जोड़ती हुई चलती है। यह महसूस कराते हुए कि भीतर की मंज़िलों को हम बाहर चलते
अनुराधा बेनीवाल पहले एक घुमक्कड़ हैं, जिज्ञासु हैं, समाजों और देशों के विभाजनों के पार देखने में सक्षम एक संवेदनशील ‘सेल्फ़’ हैं, उसके बाद, और इस सबको मिलाकर, एक समर्थ लेखक हैं। हरियाणा के एक गाँव से निकली एक लड़की जो अलग-अलग देशों में जाती है, अल
ट्रेजर गर्ल, जीवन को दाँव पर लगाके| अपने सपने को हासिल कर लेने की कहानी है। ऑकलैंड (न्यूज़ीलैंड) की रहने वाली एक लड़की ‘चेल्सी’, जिसका ख़्वाब दुनिया की सबसे बड़ी ऑर्कियोलॉजिस्ट बनना है। एक रोज वह सपना देखती है कि ऑकलैंड से हजारों मील दूर, भारत के प्राचीन
आज मैं आप सभी को जो बताने जा रहा हूं वो मेरा अभी तक का सबसे ज्यादा सुहाना या सबसे ज्यादा खुशनुमा अनुभव मैसे एक है। मैं आपको ये बात पहले ही बता देना चाहता हूं कि ये सफर काफी बड़ा और दिलचस्प होने वाला है। इस सफर में मैंने अपने आप को अपनी परंपरा अपने
‘‘सौ पहाड़ चढ़ लिये मैंने, हज़ारों मील चला हूँ मैं लाखों जीवन जी लिए कैलाश तक पहुँचने के लिए जो कैलाश की तरफ़ पहला कदम उठाते हैं वे जानते हैं कि न तो यह केवल तीर्थयात्रा है, न ही यह रोमांच का सफ़र है। कैलाश का संसार ऐसा है कि वहाँ हर व्यक्ति को अलग-अ
पर्यटन क्षेत्र की रोचक जानकारियों का सतरंगी पिटारा...