आजादी कितनी प्यारी शब्द है ना ! सुनते ही रग - रग में खुशियों की लहर दौड़ जाये । सही मायने में आज जानवर ही आजाद है , उस अपवाद जानवर को छोड़ कर जो जंजीर में या पिंजरे में कैद है ...
आजादी दशक पर दशक बीत गये विकसित कितना हो पाये? लोकतंत्रीय गणराज्य में गण कितना स्वाधीन हो पाये? कागजों में अंकित वृद्धोत्तरी कितनी आह्लाद या खुशी देती? फन फैलाये बैठी सत्ता लोलुपता क्षुद्र स्वार्थों में वशीभूत हो अखंड देश को खंडित करने गौण मानसिकता उत्तरदायी नहीं? प्रतिवर्ष राष्ट्र पर्व पर परंपराग
हक न सही जीने की आजादी दो।देश की कोहनूर है बेटियाँ, इन्हें चुराया नही जाता।घर की शान है बेटियाँ बचाया और पढ़ाया जाता।वक्त आने पर बेटी किसी और के लिए सजाई जाती।एक और दुनियाँ बसाने के लिए दुल्हन बनाई जाती ।चीख़-चित्कार के झमेलों में क्यो फसाई जाती है बेटीयाँ?नूर और हूर होने के बावजूद क्यो छेड़ी जाती है ब
आजादी आजादी किससे आजादी कैसी आजादी ?डॉ शोभा भारद्वाज 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत मेंतिरंगा फहराया गया था वतन आजाद हुआ था फिर आजादी के नारे क्यों ? इंकलाब ज़िंदाबादक्यों? कैसी आजादी चाहिए? क्या पड़ोसी देश चीन या पाकिस्तान जैसी? या 56 मुस्लिमदेशों जैसी वहाँ किसी को नागरि
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता ? दंगा ,धरना प्रदर्शन सड़क बंद मैनेजमेंट गुरुओं की कारस्तानी काएक नमूना शाहीन बाग़ डॉ शोभा भारद्वाज देश विरोधी नारे , गांधी जी,अम्बेडकर के चित्र संविधान की कापी दिखाते,कभी -कभी राष्ट्रीय गान का ड्रामा सब भारत के गौरव तिरंगे की आड़ में ?
आजादी कौन नहीं चाहता....एक पक्षी भी पिंजड़े में फड़फड़ाता है क्योंकि उसे आजादी चाहिए होती है। जब बकरे को काटने के लिए ले जाते हैं तब भी आजादी की चाहत लिए बकरा चिल्लाता रहता है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आजादी है तो जीवन है वरना इंसान घुटने लगता है। मगर आज से करीब 73 साल पहले भारत देश गुलाम था अंग्र
देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज लालकिले पर आयोजित मुख्य समारोह में राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं, सरकार के मंत्रियों, सेना के शीर्ष अधिकारियों, राजनयिकों और दूसरे क्षेत्रों के प्रमुख लोगों ने शिकरत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लालकिले की प्राचीर से संबोधन
आजादी: राम प्रसाद बिस्मिलइलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैंकभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैंमगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैंअसीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देतारहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैंरहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या
आजादी: राम प्रसाद बिस्मिलइलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैंकभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैंमगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैंअसीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देतारहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैंरहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या
तस्वीरें इतिहास का आईना होती हैं. इन पर नज़र पड़ते ही यादों का एक ऐसा झरोखा सामने आता है, जो हमें किसी न किसी की यादों में ले ही जाता है. आज़ादी के पहले की भारत की कई तस्वीरें हम सब ने देखी हैं, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी तस्वीरों से रू-ब-रू करवाते हैं, जो आपने इससे पहले क
पिछले भाग में एक साधारण सा व्यक्ति नरेंद्र अपने घर जाने के लिए ट्रैन पकड़ता है लेकिन जब वो उठता है तब वह अतीत के नरसंहार को सामने पाता है जो अंग्रेज कर रहे थे| वो चार अंग्रेजों को मार कर नरसंहार को रोक देता है लेकिन बेहोश होते-होते बागियों के हाथ लग ज
[ ...भूतकाल को कोसने के बदले भविष्य सुधारें... ]“बीत गई, वह बात गई ।" भूतकाल को कोसना और दोष देना बंद करके, उससे सबक लेकर भविष्य के निर्माण हेतु ध्य