ज़िदंगी को हमेशा खुल कर और जितना हो सके खुश होकर जियो, नहीं पता जो आज है वो कल हो ना हो।-दिनेश कुमार कीर
किस किस से जाकर कहती ख़ामोशी का राज, अपने अंदर ही ढूंढ रही हूँ अपनी ही आवाज।-दिनेश कुमार कीर
यह मोहब्बत है ठगों की बस्ती,एक पल में बदल देती है हस्ती; आशिक़ रहते है इश्क़ में बैचेन,इश्क़ जाता है उजाड़ कर बस्ती...!
जब भी तेरी याद आती है उदास कर जाती हैं। न जाने क्यों तेरे बिना ज़िंदगी काटी नहीं जाती हैं।।
"मैं डरता हूँ उनसे, जो चुप रहते है, बिना कुछ कहे, बहुत कुछ कह जाते है, सीमा शब्दों की होती है, मौन असीम होता है..."-दिनेश कुमार कीर
"दिल की हसरत ज़ुबान पर आने लगी, तूने देखा और ज़िंदगी मुस्कुराने लगी, ये इश्क़ की इंतेहा थी या दीवानगी मेरी, हर सूरत मे सूरत तेरी नज़र आने लगी..."-दिनेश कुमार कीर
"मेरे कंधे पर कुछ यूं गिरे तेरे आंसू, मेरी साधारण - सी कमीज़,अनमोल हो गई..."-दिनेश कुमार कीर
"कचरें में फेंकी रोटिया रोज़ ये बयां करती हैं कि पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भूल जाता है... "-दिनेश कुमार कीर
"कैसे भुलाए उन अतीत की यादों को, जो हर शाम ढलते सामने आ जाती है..."-दिनेश कुमार कीर
विश्व पर्यावरण दिवस~इन दिनों गांव में हूं। सुबह शवासन के दौरान जब आसमान की ओर देखा , नीला, स्वच्छ और निर्मल आसमान आंखों की खिड़की के सामने बदस्तूर पसरा पड़ा था । ऐसा जैसे कि वायुमंडल में किसी ने अभी अ
आस्था का महान पर्व छठ .... जब विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता की स्त्रियां अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ सज-धज कर अपने आँचल में फल ले कर निकलती हैं तो लगता है जैसे संस्कृति स्वयं समय को चु
आज सब लोग योगदान देते है ...कोई DP लगाकर तो कोई कुछ Post डालकर ...ये भी कोई कम बात नहीं है ...एक साथ दो चेहरे लेकर घुमना ... सब को
डॉ.निशा गुप्ता साहित्यिक नाम डॉ. निशा नंदिनी भारतीय का जन्म 13 सितंबर 1962 में उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में हुआ था। पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता रामपुर चीनी मिल में अभियंता थे और माता स्वर्गीय राधा
"सत्य कथन के लिए लज्जा की आवश्यकता नहीं है।" {91} "सुधार एक दिन में नहीं होता... इसके लिए सतत प्रयत्न की आवश्यकता होती है।" {92} "समय व्यक्ति का बुरा होता है समूह का नहीं।" {93}
"गुरुत्वाकर्षण पर टिका... सितारों से टका... एक चंदोवा है आकाश। राह दिखाता पथ के पथिक को मेरा तुम्हारा सब का घर है आकाश।" {39} "सन्नाटे का शोर बड़ा भयानक होता है... हृदय को चीरकर मस्तिष्क क
"मंदिर,मस्जिद,गिरजा,गुरुद्वारे बिखरे एक ही स्वर के तार। पाहिमाम् पाहिमाम् की हो रही सर्वत्र पुकार।" {37} "जो समय पर साथ दे जाए... वही सच्चा मित्र,भाई और पड़ोसी है।" {38}
"न रुकी वक्त की गर्दिंश और न ज़माना बदला। पेड़ सूखा तो परिन्दो ने ठिकाना बदला।" {10} "दुःख का कारण कर्म का अभाव है। सुख का कारण कर्म का प्रभाव है और शांति का कारण स्वयं का स्वभाव है।" {11}
"जब दर्द शरीर में रच बस जाता है... तो दुख से ऊपर उठकर प्रेरणा बन जाता है।" {1} "वर्तमान की चौखट से झांकता भविष्य ... वर्तमान से ही बनता अतीत अदृश्य। परिप्रेक्ष्य से वर्तमान के बनता भूत भविष्य।
प्रेरक विचार या सुभाषित ऐसे शब्द-समूह, वाक्य या अनुच्छेदों को कहते हैं जिसमें कोई बात सुन्दर ढंग से या बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से कही गयी हो। सुवचन, सूक्ति, अनमोल वचन, आदि शब्द भी इसके लिये प्रयुक्त हो
दुख के काले बादल बीच निकलेगा फिर सुख का चांद। करो प्रतीक्षा श्रमरत रहकर मत डालो आलस का बांध शत्रु है यह जीवन का दीमक सम यह लगता है। धीरे-धीरे खाता मन को काया को यह हरता है। कमजोर इच्छा शक्त