“Success की सबसे खास बात है की,वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है I”
सच हमेशा फैसला करवाता है, मगर, झूठ व्यक्तियों में फासला करवाता है...
आज लेख छोटा सा है। हम जो भी करे चाहे किसी बिजनेस की शुरुआत करे,चाहे निवेश करे ,चाहे किसी उत्तर को याद करे,घर का निर्माण कराए जो भी करे हमेशा छोटे से शुरुआत करनी चाहिए। विद्यार्थी के लिए 10 लाईन का
हमारा आहार क्या है? हम कौन सा आहार ले रहे है? विज्ञान ने तीन तरह के आहार विभाजित किया है शाकाहार,मांसाहार व सर्वाहार।संसार में तीसरे तरह के लोग ज्यादा होते है जो साक सब्जी व मांस दोनो खाते हैं। एक
विचार क्या हम विचार करते है? कितने लोग विचार करते हैं? कही विचार चल रहे है उसे तो हम लोग विचार करना तो नही कहते। तो हम भूल में है। विचार दिमाग में स्वतः चलते रहते है लेकिन वह विचरना नही है।उदाह
सतत जब कोई विद्यार्थी उत्तीर्ण होता है तो उसके पीछे हजारो कदम होते हैं। वो लगातार अध्ययन करता है तब उसे वो मंजिल हासिल होती है। कोई भी हम काम करे उसमें निरंतरता जरूरी है निरंतरता एक दिन सफलता के
समग्रता पहले की अपेक्षा आज सूचनाएं ज्यादा प्राप्त हो रही है। आज इतनी सारी जानकारी हमे एक साथ मिलती है कि हम तनाव में आ जाते है। ऑफ़िस जाना है वहाँ की कई ऑनलाइन व ऑफलाइन काम पेंडिग है। बच्चो की फीस
विपत्ति का निखार हम ये सोचते है कि हम पर कोई दुख का पहाड़ ना टुटे। कोई समस्या ना आए। सोचो यदि हमे कोई कार्य न करना पड़े तो हमारे शरीर से कोई काम ना होगा मासपेशी दुर्बल हो जायेगा जब हम किसी पार्
आज हमे अपने पर्यावरण के प्रति विचार मंथन करने की ज़रूरत है। जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं वह नष्ट होने के कगार पर है।हमने तो अपने घर को साफ सुथरा व सजाकर रखा है।पर उसका नीव ही कमजोर हो तो मकान कब तक साथ
सफलता और असफलता सफलता और असफलता जीवन में आती जाती रहती है। आप एक विद्यार्थी है और एग्ज़ाम पास कर लिए आप फ़र्स्ट डिवीजन से पास हुए आपने सोचा या लक्ष्य निर्धारित किया था कि मैं इस वर्ष फ़र्स्ट डि
एक बार की बात है गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवो को धनुर्विद्या सिखाने के पहिले परीक्षा ली। सभी लोगो को एक पेड़ पर ले जाकर पूछा आप लोगो को क्या दिखाई दे रहा है उस चिडियाँ पर निशाना लगाना है ।सभी लोगो ने
जिसको जीवन कहते वो जीवन नही हम लोग ये कहते है कि हम जीवन जी रहे है। क्या यह सही है? क्या सचमुच में हम जीवन जी रहे हैं? मनुष्य जन्म लेता है बचपन आता फिर जवानी आती है फिर बुढापा। ये तो क्रमश: घटि
माइन्ड (मन) मन को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।मन एक ऐसा शख़्स है जो अपनी जाल से हमे उलझाकर खुद मालिक बन बैठता है। मन अपनी चाल कब चलता है पता नही चलता।
प्रसिद्ध उपन्यास का मूल अर्थ है,निकट रखी गई वस्तु किंतु आधुनिक युग में इसका प्रयोग साहित्य के एक विशेष रूप के लिए होता है। जिसमें एक दीर्घ कथा का वर्णन गद्य में कहा जाता है। एक लेखक महोदय का विचार है,
??..ईवीएस कक्षा में बच्चों के साथ संवाद के अनुभव ..... “स्कुल में आने के शुरूआती समय में कुछ समय प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों के साथ ईवीएस विषय में काम किया था. उन दिनों के मेरे अनुभव ये रहे थे कि प्
सो आज के लिए निर्धारित कक्षा में पहुँचे । यह कक्षा 10 में गणित का कालांश था । अमन जी हिन्दी के अध्यापक थे । बच्चों ने गणित ही पढने की जिद की । और गणित की मोटी सी पुस्तक मेज पर धर दी । अम
अमन जी अपनी बाइक उठाकर गाँव में पहुँचे । लाख प्रयास के बाद भी कोई स्वयं सेवक नहीं मिला । लोग कहते- वाह माटसाब ! खुद तो पढाने के साठ सत्तर हजार लेते हो और हमसे फ्री में गाँववालों को पढवाना चाहते हो ।
कक्षा में बच्चे आपस में लड़ झगड़ रहे थे । अमन जी ने उनको शांत किया और किताब निकालने को कहा । इतने में एक बच्चा बोला, सर वर्कबुक भरवाइए ना । अभी तो उसी का समय है । प्रमोद जी की इच्छा अपने बाल नोच लेन
अमन जी को अभी कक्षा 1 से 8 तक की उपस्थिति इकट्ठी करनी थी । झट डायरी उठाकर दौड़े । आँकड़े इकट्ठे करके भोजन निर्माण शाला में पहुँच कर बताया कि आज कितने आटे की रोटियाँ बनेगी । फिर बाँस की एक सीढी लगाकर
दूसरी तरफ अमन जी मिड डे मील बनाने वालियों से उलझे हैं - परसों भी तुमने सब्जी में पानी अधिक डाल दिया । सब्जी एक तरफ और पानी दूसरी तरफ जा रहा था । यह नहीं चलेगा । एक मिड डे मील बनाने वाली बोली -ज्यादा