राजकीय शिक्षालय का दृश्य। हर शिक्षक बहुत व्यस्त है । एक शिक्षक संगणक पर उलझे हैं । आँखों पर मोटा ऐनक । ऐनक के नीचे आँखों में गंगा जल की धारा बहनें को उतारू । समझ में नहीं आ रहा कि यह झरना ल
किसी पे कोई आरोप लगाने से पहले सोचलो , समझ लो। फिर तुम जैसा उसके बारे महसूस करो वैसा करो। क्योंकि कभी- कभी इंसान सही तो होता है ्पर उसको समझने वाली सही इंसान नहीं होता । शाय
जिंदगी दर्द का दरिया... सुन ऐ जिंदगी मेरी आंखों में आसूं है मगर टूटी नही हूं रो रही हूं बेशक मगर कमजोर नहीं हूं जिंदगी दर्द का दरिया है मेरी कस्ती भंवर में फसी है होंसले बुलंद ह
1) सब रोड पर किसी भी ठेले पर खा लेते हैं , किसी भी रेस्टौरेंट मे खा लेते , किसी भी होटल मे ठहर जाते । 2) किसी भी बस मे किसी के भी पास बैठ जाते । 3) तीरथों मे सारी जाती के लोग जाते हैं लाइन मे
छोड़ गाँव की अल्हड़ मस्ती,खुद को समझता शहरी हस्ती।सोच ब्रांडेड पर चींजे सस्ती,बातें जन-जन कीं अब डसती।।छूट गया ये रक्षाबंधन।टूट गया सपना तरु चंदन।।अब लगता नहीं मन किसी मोह में।यौवन गुजरे उहापोह मे
इन नदियों को इस प्रकार भी बर्गीकृत किया जा सकता है · मेघना नदी तंत्र इसका प्रवाह सुरमा-मेघना-बराक नदी पारिवार बांग्लादेश और भारत में होता है इस तन्त्र में निम्न नदिया आती हैं · पदमा नदी (गं
नजर उठा कर देखा तोचारों ओर सन्नाटा है,कोई नजर नहीं आता मुझकोक्योंकि मैं अकेला हूं।।रात की खामोशी मेंझींगुर झें झें करते है,कोई नही कुछ कहता मुझसेक्योंकि मैं अकेला हूं।।चारों ओर काला घेरामेरा साथ निभात
इस हकीकत के जहां सा, और भी है इक जहां,हम खयालों मे, जहां की सैर करते हैं।स्वप्न में या सोच में, साकार होती कामनाएं,हकीकत में जिनको, हम जीने से डरते हैं।।...जिन्दगी में, नित्य के संघर्ष को जीना,मन तो क
"सबसे उत्तम दृष्टि वह होती है, जो स्वयं की गलतियों को देख सके।" {295} "मनुष्य की यह कैसी मनोवृति है, किसी की बुराई पर तुरंत विश्वास कर लिया जाता है लेकिन अच्छाई की खोजबीन की जाती है।" {296}
"समय, विश्वास और सम्मान, ये ऐसे पक्षी हैं... जो उड़ जाएँ तो वापस नहीं आते।" {267} "कविताएं शब्द समूह मात्र नहीं... जीवन दर्शन होती हैं।" {268}
रिश्ते अंकुरित होते हैं प्रेम से... जिंदा रहते हैं संवाद से... महसूस होते हैं भावनाओं से.. जिए जाते हैं पवित्र हृदय से... मुरझा कर बिखर जाते हैं... जरा सी नोक-झोंक और अहंकार से। {263} शांत च
"ज्ञानी कभी अभिमानी नहीं हो सकता और अभिमानी कभी ज्ञानी नहीं हो सकता क्योंकि ज्ञान अभिमान को लुप्त कर देता है।" {257} "व्यक्ति कोई बुरा नहीं होता, समय और परिस्थितियों के चक्रव्यूह में फंसकर
"जिस तरह हाथ पर कोयला रखने से हाथ जल जाता है। उसी तरह क्रोध को हृदय में रखने पर हृदय जलकर राख हो जाता है।" {252} "जीवन रूपी शतरंज के खेल में कर्म हमारी चाल है और फल ईश्वर की चाल है।" {253}
"कथनी और करनी के मिलन की अनुकूलता से धरती आसमान एक हो सकते हैं।" {240 } " सच्चा उपदेश विचारों से नहीं आचरण से दिया जाता है।" {241} "जिन्हें अपने कदमों की ताकत पर विश्वास होता है। व
"दुनिया में एक चीज सबको बराबर मिलती है, और वो है वक्त।" {237} "कभी-कभी अंतर्मन की छत पर पड़े हुए कूड़े करकट को बुहारना जरूरी है।" {238} "बात-बात में बात बिगड़ कर विवाद उत्पन्न करती है।"
"ज्ञानार्जन की प्रक्रिया मृत्यु पर्यंत चलती रहनी चाहिए।" {234} "प्रिय वचनों से पशु भी वश में हो जाता है.. तुम तो इंसान हो।" {235} "अहंकार और संस्कार में बहुत बड़ा अंतर है। अहंकार दूसरों क
"क्रोध एक ऐसा शस्त्र है जो जिसके पास होता है उसी पर वार करता है।" {231} "वक्त घाव नहीं भरता बल्कि घाव के साथ जीना सिखा देता है।" { 232} "जिन्हें पता है कि विपत्ति संघर्ष और दुख का
"मौके के इंतजार के लिए समय को व्यर्थ मत करो। हरेक पल कीमती है।" {225} "दिखावे से ऊपर उठकर जीना ही सच्चा जीवन है।" {226} "सुसंस्कृत लोग ना किसी से डरते हैं और ना किसी को डराते हैं।"
"बनना है तो मेहंदी के पत्तों सा बनो जोकि सूख कर भी रंग देना नहीं भूलते।" {222} "समंदर जैसे हृदय में नदियों जैसे लोग स्वयं प्रवेश करने लगते हैं।" {223} "मनुष्य जीवन विचार रूपी बीच से प
"कड़वाहट कैंसर की बीमारी की तरह है। यह कड़वाहट रखने वाले को खत्म कर देती हैं लेकिन क्रोध आग की तरह है। यह सब कुछ जला देता हैं।" {220} "जहां आवश्यकता ना हो वहाँ ज़बरदस्ती अपनी सलाह देने से