अरसात सवैयासरल मापनी --- 211/211/211/211/211/211/211/212 अरसात सवैया [२४ वर्ण ] =अरसात सवैया भगण [ ऽ।।] रगण [ऽ।ऽ ] मिश्रित वृत्त सवैया है सात भगण [ऽ।।] के बाद एक रगण [ऽ।ऽ ] संधि [जोड़ने ] से जिस वृत्त का निर्माण होता है उसे छन्दस प्रेमी अरसात सवैया कहते हैं सवैया छंद को रीतिकालीन कवियों नें प्रमुखता से काव्य गरिमा से अलंकृत किया है इस छंद २४ वर्ण होते हैं यदि १२ वर्ण पर यति का प्रयोग करने से काव्य की रम्यता चौगुनी हो जाती हैं, अरसात सवैया = भगण X 7 + रगण भानस +भानस +भानस+ भानस +भानस +भानस +भानस + राजभा वर्णिक मापनी - ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। + ऽ।ऽ
"अरसात सवैया"
गावत कोयल रात भए पर, नाचत मोर सवार भई पिया।
आप अभी अलसाय रहे पिय, सौतन नारि पियारि भई किया।।
नैन लड़ा अधिरात बिताकर, प्यार लुटाकर काम न आ हिया।
चाहत छूट रही सजना अब, छोड़ कुमारग वापस आ जिया।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी