बातें अनकही....
सच ही तो है कुछ रिश्तों को नाम नही मिल पाते मगर वो फिर भी रहते है आजीवन एक मीठा एहसास एक अटूट साथ बनकर वो साथ जो दूर होकर भी आपको एक दूसरे की कमी नहीं खलने देता,वो साथ जो दुनिया भर की जिम्मेदारी होने के बावजूद महसूस कराता है कि आप खास हो बहुत खास
किसी एक शख्स की दुनिया बसती है आपकी खुशी में आपकी एक हल्की सी मुस्कान में
कितना सुखद अनुभव है ना किसी ऐसे शख्स का आपकी जिंदगी में होना या आपका किसी ऐसे इंसान की जिंदगी में शामिल होना...
हजारों अपने होने के बावजूद मन की बातों को बस उसी एक शख्स से बयां कर पाना ,जो भी मन में आए कह जाना न सोच ना कोई संकोच
तुम वो ख्याल हो जो मन से मिटा देता हैं सारी पीड़ाएं मेरी,
तुम्हे सोचते ही मैं भूल जाती हूं कुछ पल को अपने आस पास की उलझने सारी ,
कभी कभी हवा के ठंडे झौंके की तरह तुम देते हो सुकून अंतर्मन को मेरे,
तुम्हारी बातें ऐसे छू जाती हैं मन को जैसे बारिश की ठंडी फुहार कोई..
सच कहूं तो कभी सोचा भी नही था यूं बंध जाऊंगी तुमसे किसी अनजाने बंधन में,और तुमसे इतना प्यार और सम्मान मिलेगा मुझे इतनी फिक्र तो कभी अपनी की ही नही जितनी फिक्र तुम्हे सोचकर करने लगती हूं खुद की ये सोचकर की मेरी लापरवाही कहीं तुम्हे परेशान न कर दे
खैर मन में तो बहुत कुछ रहता है मगर हर बात शब्दों में कहां बयां हो पाती है ,कुछ अनकहे अल्फाज़ भी होते हैं बस महसूस करने के लिए