( हम फिर मिलेंगे.... )
फिर कभी,कहीं किसी मोड़ पर अचानक ही,
शायद तुम्हे इस बात की कोई उम्मीद न हो,
मगर मेरे दिल में हमेशा ये आस रहेगी ,
मैं इसी उम्मीद के साथ जियूंगी अपना हर एक पल...
मैं नहीं टूटने दूंगी अपनी इन उम्मीदों को ,
कभी किसी भी हाल में,
मैं जिंदगी की हर खुशी में महसूस करूंगी तुम्हे ,
और हर गम बाटूंगी तुम्हारी स्मृति के साथ ...
मैं नहीं होने दूंगी दूर तुम्हारे अस्तित्व को खुद से कभी,
मैं हर पल खुद को तुम्हारी यादों से बांधे रखूंगी ,
अपने मन मस्तिष्क में ,अपने अंतर्मन में,
मैं सदैव तुम्हे स्थापित रखूंगी,
किसी पूजनीय की तरह ।
मैं सदा जीवित रखूंगी इस उम्मीद को ,
कि मुझे तुमसे मिलना है चाहे इस जन्म चाहे उस जन्म ,
कहीं किसी अनजान राह पर कहीं किसी बेनाम मोड़ पर,
हमारा मिलना तय हैं...
उम्मीदें ही तो जीवन का और खुशियों का आधार हैं,
और मेरी उम्मीद मेरे जीवन का आधार केवल तुम हो
मैं कभी नही होने दूंगी तुम्हे खुद से अलग ,
दूर होने के बावजूद मैं तुम्हे सदैव सहेज कर रखूंगी ,
अपने हृदय के उच्चतम स्थान पर ,
मेरा हर पल तुमसे शुरू होकर तुम पर ही समाप्त होगा,
तुम्हारी स्मृतियों की बंदिश में खुद को कैद रखूंगी मैं ।
मैं तुम्हे सदैव अपने पास रखूंगी,
अपनी आंखों की कोरों में नमी बनाकर,
अपने काजल की सुंदरता बनाकर,
मेरे दिल की धड़कन बनकर ,
तुम ही तो धड़कोगे सदैव मेरे हृदय में..
तुमसे मिलना भी एक दिन जरूर होगा मुझे विश्वास है अपने प्रेम पर ।