एहसास....
इन बनते बिगड़ते रिश्तों के बीच,किसी का आराम से ये कह देना कि फिक्र न करो हम तुम्हारे साथ है हमेशा,
कसम से बड़ा सुकून देता है ,
जब इन सांसारिक परेशानियों से,
दुखने लगता है सिर बहुत ज्यादा तब ,
कोई प्यार से कह दे कि आओ हम दबा दे सिर,
आराम मिलेगा बस इतना सुनते ही न जाने कहां गायब हो जाता है, वो आक्रोश सा जो दिल में उठा पटक कर रहा होता है...
जब मन भारी हो ,आंखे नम हो ,आंसुओं का एक सैलाब बहने को तैयार बैठा हो तब उसका ये कहना कि देखो रोकर मन हल्का कर लो मगर इतना ही जिसके बाद तुम सुकून की सांस ले पाओ,उसके बाद एक भी आंसू बहाने की तुमको बिल्कुल भी इजाजत नही..
जब गुस्सा खुद पर हावी होने लगता है,जब मन करता है भाग जाऊं कहीं दूर बहुत दूर सब लोगों से सब जिम्मेदारियों से ..
तब ,मैं कहां कहां ढूंढूंगा तुम्हे इतनी बड़ी दुनिया में,मैं किसको कहूंगा मोटी ज्यादा मत खाया कर ,मैं कहां से लाऊंगा वो सुकून जो मुझे मिलता है तुम्हे सुनकर ,तुम्हे महसूस करके ,तुम्हे चिढ़ाकर,तुम्हे मनाकर...
बताओ न तुम यही चाहती हो कि तुम दुनिया की भीड़ में खो जाओ और मैं खो जाऊं तुम्हारी यादों में,मेरे एहसास जो तुम्हारे लिए हैं वो मुझे अंदर ही अंदर खा जाएं ....
नही न तुम ऐसा हरगिज़ नहीं चाहती ,तुम्हे परवाह है मेरी इसलिए तुम नही जाओगी कहीं मुझे तन्हा करके
और उसकी इन सब बातों को एहसासों को सुनकर कठोर दिल का मोम जैसे पिघल जाना ufff
पता नही क्या जादू होता है किसी ऐसे खास इंसान की बातों में कि हम चाहकर भी उन्हें मायूस निराश नही कर पाते ,हम हंसी खुशी झेल जाते है हर तकलीफ , पी जाते हैं अपना वो दर्द सारा जिससे उसे तकलीफ़ हो जरा भी
खैर बातें तो बहुत सी होती है ऐसी जो चाहे अनचाहे दिल को छू जाती हैं,हृदय में एक अलग ही स्थान होता है ऐसे लोगो का
नजरो से दूर मगर दिल के बेहद करीब