सभी का तो नही कहते ,
परंतु कुछ पुरुष बहुत ही सुंदर होते है ,
तन की सुंदरता की बात नहीं हो रही यहां,
यहां बात हो रही है उन पुरुषों की जिनका मन निश्छल पानी के समान होता हैं, कि उस पानी पर पड़ा कोई एक प्रतिबिंब जिसे वो अपने सीने से लिपटाए रखता है ,
सहेज के रख लेता है उसे अपने मन के भीतर ही कहीं,
वो अपने मन के बवंडर को कभी हावी नहीं होने देता अपनी भावनाओं पर,
वो बस अपनी शीतलता को सहेजे रखता है,किसी एक के लिए और ऐसा नही है कि वो औरों के लिए कपटी हो जाता है नही,
ये नही होता कि उनका आचरण बदल जाता है अपितु वो खुद को ढाल ही लेते हैं एक ऐसे आवरण में कि चाहे सामने कोई भी हो उनके मन में उन सभी के प्रति एक अलग भाव और सम्मान होता है ..!
पुरुषों ने हर किरदार को बखूबी निभाया है ,और जो समर्थ नहीं अपने किरदार को निभाने में फिर उन्होंने हमेशा गलत राह अपनाई है,
हां मगर कुछ पुरुष सदैव तत्पर रहे अपने कर्तव्य मार्ग पर बिना किसी फेरबदल के क्योंकि उनके मन उज्ज्वल रहे हमेशा ही उन्होंने उस उज्ज्बलता पर कभी कोई कालिख लगने ही नही दी..!