प्रेम....
प्रेम वास्तविकता है कोई मिथ्या नही,
प्रेम आराधना हैं कोई वासना नही,
प्रेम अनुरक्त है कोई विरक्त नही,
प्रेम सौभाग्य है कोई श्राप नही,
प्रेम स्वाभाविक है,काल्पनिक नही,
प्रेम निरंतर खोज है,समापन नही,
प्रेम पूर्णता है,कोई अल्पविराम नही
प्रेम करुणा है ,कोई कटाक्ष नही,
प्रेम विश्वास है,कोई पाखंड नही,
प्रेम संकल्प है कोई विकल्प नहीं,
प्रेम सादगी है कोई दिखावा नही,
प्रेम वैराग है, मोह जाल नही,
प्रेम उन्माद है , द्वंद नही,
प्रेम मुक्ति है कोई बंधन नहीं ,
प्रेम सहनशीलता है,कोई प्रतिरोध नहीं,
प्रेम तो प्रारंभ है, कोई अंत नही..!