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खिलने से पहले ही मुरझाता बचपन,
ये
शोषित ये कुंठित ये अभिशप्त बचपन....
आज
के समाज मे बच्चों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए उपरोक्त दो लाइनें ही काफी है
। हो सकता है कि बड़े या मध्यम वर्गीय परिवार में रहने वाले बच्चों की स्थिति आपको
सही लगे, लेकिन हर हँसते हुए बच्चे के चेहरे के पीछे आजकल कई दर्द भी छुपे हुए है
। पढ़ाई में अच्छे मार्क लाने का दवाब, पारिवारिक कलह, किसी के द्वारा यौन शोषण, भावनात्मक दुर्व्यवहार
जैसे अनेक कारणों की वजह से आज अच्छे घरों के बच्चे भी कुंठित रहते है और ऐसे में
हमें गरीब तबके के बच्चों के बारे में तो अपनी सोच को और भी अधिक गहराई देने की
जरूरत है ।
अंतर्राष्ट्रीय दिवस ‘आक्रमक दुर्व्यवहार के शिकार, मासूम बच्चे’ (International Day of
Innocent Children Victims of Aggression) 4
जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है । इसे 19 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाने का निर्णय लेकर, स्थापित किया गया था । मूल रूप से 1982 के लेबनान
युद्ध के पीड़ितों पर ध्यान केंद्रित किया गया, इसका
उद्देश्य "दुनिया भर के बच्चों द्वारा, जो शारीरिक,
मानसिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार से पीड़ित दर्द को स्वीकार करना है।“
इस दिन संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को
प्रमाणित करता है ।
इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर लाखों व्यक्तियों और संगठनों द्वारा बच्चों के लिए वैश्विक आंदोलन के तहत, दुर्व्यवहार और आक्रमण से पीड़ित बच्चों के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए केन्द्रित जागरूकता अभियानों में भाग लेकर, परिवर्तन के लिए एक प्रेरणादायक शक्ति तथा बच्चों के जीवन में सुधार के लिए 'सकारात्मक’ कार्यक्रम आयोजित करते हैं । यह एक ऐसा समय और कार्यक्रम भी है जब विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों द्वारा बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्रित जागरूकता अभियानों में भाग लेते हैं ।
आइये ... दुर्व्यवहार और आक्रमण से पीड़ित बच्चों के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए केन्द्रित जागरूकता अभियान में भाग लेकर वैश्विक आंदोलन को सफल बनायें ।