क्लिटरिस. आम भाषा में कहें तो ‘क्लिट’. इसे हिंदी में क्या कहते हैं?
भग्नाशय, भग-शिश्न, भगांकुर.
ये शब्द सुनकर ऐसा लगता है कि गलती से संस्कृत किताबों की लाइब्रेरी में गिर गए हों. सोच के देखिए, हमारी बोलचाल की भाषा में कोई ऐसा शब्द नहीं है, जो क्लिट के लिए बना हो. जिसका मतलब है, क्लिट एक ऐसा अंग है जिसके बारे में हम कभी बात करते ही नहीं हैं. जैसे वो मौजूद ही नहीं है. और क्लिट को तो हम ऐसे ही देखते हैं न? एक फालतू मांस के टुकड़े जैसा, जिसका सेक्स से कोई संबंध नहीं है. न ही औरत के शरीर में उसका कोई काम है. क्योंकि औरतों का सेक्स ऑर्गन तो उनकी वेजाइना होती है.
स्कूल में जब सेक्स का थोड़ा-बहुत ज्ञान जब ‘रिप्रोडक्शन’ के नाम पर दिया गया, उसमें क्लिट का कोई जिक्र नहीं आया. क्योंकि बच्चे पैदा करने में क्लिट की कोई भूमिका नहीं होती.
लेकिन फ़्रांस के बच्चों के साथ अब ऐसा नहीं होगा. क्योंकि उनकी सेक्स एजुकेशन में क्लिट का एक नया चित्र जोड़ा जा रहा है. क्लिट के क्ले मॉडल की कि एक 3D तस्वीर जो बच्चों को इसके बारे में सब कुछ बताएगी. फ़्रांस के कई फेमिनिस्ट एक्टिविस्टों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन की किताबों में क्लिटरिस का चित्रांकन ठीक नहीं होता. मतलब उसकी फोटो सब कुछ क्लियर नहीं बताती. इसलिए क्लिट का ये नया मॉडल उन्हें औरतों के शरीर में उसकी भूमिका समझाएंगे.
शायद आपको मालूम न हो, पर हमारे ही देश में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें फीमेल ऑर्गेज्म के बारे में नहीं पता. ऐसी कई शादीशुदा औरतें हैं जो सेक्स के बाद थके हुए पति की पीठ देखती हुई जागती रहती हैं. क्योंकि वो दो मिनट पहले हुए सेक्स से संतुष्ट नहीं होतीं. लोग औरतों का मजाक उड़ाते हैं कि उन्हें (सेक्स की) इतनी आग लगती है कि शांत नहीं होती. लड़की के ऑर्गेज्म पर लोग भरोसा ही नहीं करते, क्योंकि न ही वो थक कर तुरंत सो जाती हैं. न ही उनकी वेजाइना से सीमेन की तरह का कोई लिक्विड भारी मात्रा में बाहर आता दिखता है. कई औरतें इस वहम का शिकार हो जाती हैं कि उनके ही अंदर कोई कमी है, जो वो सेक्स से संतुष्ट नहीं हो पा रही हैं. और इन सब का कारण है औरतों के सेक्स ऑर्गन की बनावट और भूमिकाओं के बारे में अज्ञानता.
क्लिटरिस ठीक वैसी ही होती है, जैसे पुरुषों का लिंग. उन्हीं टिशू से बनी होती है, जिससे लिंग बनता है. और उत्तेजित होने पर वही तनाव महसूस करती है, जो लिंग करता है. उतनी ही लंबी होती है, जितना लिंग होता है. बल्कि उससे भी लंबी. फर्क बस इतना है कि क्लिट का एक बड़ा हिस्सा शरीर के अंदर होता है, छिपा हुआ. जो दिखाई नहीं पड़ता. इसलिए दुनिया के लिए उसका होना और न होना बराबर है. यहां तक खुद औरतों को नहीं पता होता कि उनकी सेक्स लाइफ में क्लिट की कितनी बड़ी भूमिका हो सकती है.
हमारे ही देश में ही एक समुदाय है, दाऊदी बोहरा . जो औरतों का खतना करते हैं. यानी उनकी क्लिटरिस को ‘हराम की बोटी’ कहकर बचपन में ही काट देते हैं. जिससे औरतों की आने वाली सेक्स लाइफ बर्बाद हो जाती है. पर उनका ये कहना है कि क्लिट के कटने से कुछ नहीं होता. क्योंकि उसका तो कोई काम होता ही नहीं है.
बरसों से लोग ये मानते आ रहे हैं कि एक रिलेशनशिप में पुरुष को ही ज्यादा सेक्स की इच्छा होती है. पुरुष ही मास्टरबेट करते हैं. औरतें तो बस इमोशनल हो पाती हैं. लेकिन सच तो ये है कि औरतों के सेक्स करने की इच्छा समाज के प्रेशर की वजह से छिप जाती हैं, अंदर ही रह जाती हैं, उनकी क्लिटरिस की तरह.