असम में चाय बागान का एक मालिक था. वो अपने बागानों में नई-नई तकनीक लाया. चाय बागान के मालिकों का मुखिया बना, उसकी तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी थीं. लेकिन एक दिन उसके घर पर हमला हो गया. उसका घर जला दिया गया. साथ में उसे भी जला दिया गया. कहते हैं हमलावर उसे मारकर खा गए थे. आपको लगता है कहानी खत्म? कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. उस आदमी के पीछे एक खजाना छूट गया था. सेना भी उसे नहीं बचा पाई. खजाना गायब हो गया. देश की सबसे बड़ी अदालत भी आज उस खजाने को तलाश रही है.
सात साल पहले की बात है. 2010 का मार्च लगा था. जगह थी असम के गुवाहाटी से 20 किलोमीटर दूर. कामरूप में रानी टी स्टेट. 376 हेक्टेयर में फैली इस जगह में एक गोली चली. जाकर लगी एक 15 साल के बच्चे को. प्रदीप मुरारी नाम था उसका. कक्षा आठ में पढ़ता था. आरोप लगे कि उसे गोली मारी थी मृदुल कुमार भट्टाचार्य ने. ये आदमी एमकेबी टी स्टेट का मालिक था. गोली लगने के बाद बच्चे की मौत तो हुई ही उसके साथ चार और लोग भी घायल हो गए थे. बाद में मृदुल कुमार भट्टाचार्य को पकड़ लिया गया. दो साल की जेल हुई. मृदुल पर औरतों से दुर्व्यवहार करने के आरोप लगे थे. कहते हैं, उसने अपने चाय बागान में काम करने वाली औरतों को पीटा था. उनके कपड़े फाड़ दिए थे. इसी के खिलाफ लोग प्रोटेस्ट कर रहे थे. ये तमाम लोग उसी के मजदूर थे जिन पर मृदुल ने फायर खोल दिया था. लोग खिसिआए. दो फैक्ट्रियां जला दीं, घर जला दिया, वाहन जला दिए. मृदुल के साथ उस हमले में कुछ बुरा नहीं हुआ था .
लोकल लोग इल्जाम लगाते थे, कि भट्टाचार्य ने पंद्रह सालों से उनका जीना हराम कर रखा था. कभी वो उन्हें पीटते थे. पिस्तौल दिखाकर धमकाते थे. जमीन हथिया लेते थे. और तो और उनके पानी के सोर्सेज भी प्रदूषित कर डालते थे.
कौन थे मृदुल कुमार भट्टाचार्य
लेकिन कुछ लोग मृदुल को ऐसे याद नहीं रखते. मृदुल कुमार भट्टाचार्य एमकेबी (एशिया) प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर थे. असम टी गार्डन एसोसिएशन के प्रेसीडेंट थे. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक़ भट्टाचार्य मैकेनिकल इंजीनियर थे. रीता और वो, दोनों मिलकर बायोडायनेमिक फार्मिंग और रीन्यूएबल एनर्जी के लिए काम कर रहे थे. सिर्फ चाय ही नहीं मल्टी- क्रॉपिंग के फील्ड में भी काम कर रहे थे. संतरे, चावल, काली मिर्च, अदरक वगैरह भी उगाते थे. उनने खुद का माइक्रो हाइडल पॉवर प्लांट लगा रखा था, क्योंकि बिजली पर्याप्त नहीं आया करती थी.
उनका परिवार 1880 से चाय उपजाने में लगा है. उनके परदादा ने अंग्रेजों के टाइम ये काम शुरू किया था. रानी टी स्टेट में तो मृदुल मछली भी पाला करते थे. जहां वो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से सजावटी मछलियां लाते थे. उन्हें हमेशा ऐसा आदमी माना जाता था जिसने कभी उग्रवादी संगठन उल्फा के सामने घुटने नहीं टेके. हालांकि बाद में ये बात गलत निकली.
800 लोगों ने मिलकर उनका घर जला दिया
दो साल बाद 26 दिसंबर 2012 की बात है. उस वक़्त मृदुल असम के तिनसुकिया ज़िले में अपने दूसरे कुनपाथर चाय बागान में थे. उनके बंगले के बाहर उनके ही मजदूर प्रोटेस्ट कर रहे थे. टेलीग्राफ यूके के हवाले से तो ये भी कहा गया कि मृदुल ने एक चर्च की जमीन दबा ली थी जिससे लोग भड़क गए थे. पर पुलिस के मुताबिक़ मज़दूर इस बात से नाराज थे कि कुछ दिन मृदुल ने बागान में रहने वाले कुछ कर्मचारियों को घर खाली करने के नोटिस भेज दिए थे. इसी मामले में विवाद हुआ तो दो मजदूरों को उनने पुलिस से पकड़वा दिया.
उनके घर के बाहर लगभग 800 मजदूर जमा थे. उनके पास लाठी डंडे थे. उनने भट्टाचार्य के घर पर धावा बोल दिया. उनके घर को आग लगा दी, इस आग में मृदुल और उनकी बीवी रीता जिंदा जल गए. बात ये भी आई कि मरने के बाद उनके शरीर के छोटे-छोटे 70 टुकड़े किए गए. और लोगों ने उनकी जली हुई लाश के टुकड़े खा लिए. तब इंस्पेक्टर जनरल एसएन सिंह ने तब मीडिया वालों को दो प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से ये बताया था. घर के अलावा उनकी दो कारों में आग लगा दी, लूटपाट भी हुई.
http://www.thelallantop.com/news/800-tea-plantation-workers-burn-their-landlord-alive-eat-him-treasury-worth-300-cr-being-sought/