साल 2016 में गदही का दूध बिकेगा. नास्त्रेमदस ये भविष्यवाणी करने ही वाले थे. लेकिन खाना खाने चले गए तो नहीं बता पाए. लेकिन होनी को कौन टाल सकता है? गधे का दूध बिक रहा है. लोग खरीद भी रहे हैं. 50 रुपये में. 50 रुपये किलो नहीं लिखा है, 50 रुपये चम्मच है. बेंगलुरु की बात बता रहे हैं. सहिन में स्मार्ट सिटी है यार! कोलार के एक जने हैं कृष्णप्पा उनका फुलटाइम बिजनेस ही यही है.गधी दुहना, और उसका दूध बेचना.
इस गधी का नाम लक्ष्मी है. कृष्णप्पा गली-गली गधी को साथ लेकर घूमते हैं. बिक इसलिए रहा है क्योंकि न्यू बोर्न बेबीज के लिए इसको बहुत अच्छा बताते हैं. उनका इम्यून सिस्टम इससे मजबूत होता है. वैसे सही ही है, गधे का दूध एंटी एजिंग होवे है. लीवर की समस्या हो इन्फेक्शन वाले रोग हों, बुखार हो, नाक से खून आए, जहर लगे जोड़ों का दर्द हो. गधी का दूध बहुत सही बताते हैं लोग. पॉप फ्रांसिस भी उनको बालपन में गधी का दूध पिआया गया था.
प्राचीन ग्रीक में गधे के दूध का जिक्र होता था, फिर रोमन लोगों ने इसको अपनाया. तब इसे तनिक सुपाच्य बना दिया गया. और तो और ये मोइश्चराइजर का भी काम करता था. इजिप्ट वाली क्लेओपेट्रा इसी से नहाती थी. काहे के ये चेहरे के रिंकल्स दूर भगाता है. अभी तो मजे कृष्णप्पा के हैं. अस्थमा, ठंडी, खांसी से बचाने के नाम पर मस्त कमाई कर रहे हैं.
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