‘बहरों को आवाज सुनाने के लिए धमाकों के
बहुत ऊंचे शब्दों की जरूरत होती है…’
साभार:- The Lallantop
साल 1928 था. इंडिया में अंग्रेजी हुकूमत थी. 30 अक्टूबर को साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा. लाला लाजपत राय की अगुवाई में इंडियंस ने विरोध प्रदर्शन किया. क्रूर सुप्रीटेंडेंट जेम्स ए स्कॉट ने लाठीचार्ज का आदेश दिया. लोगों पर खूब लाठियां चलाई गईं. लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गए. 18 दिन बाद लाला लाजपत राय ने दुनिया में अपनी आखिरी सांस ली.
लाला लाजपय राय की मौत से क्रांतिकारियों में गुस्सा भर गया. तय हुई कि बदला लिया जाएगा. भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद समेत कई क्रांतिकारियों ने मिलकर जेम्स स्कॉट को मारकर लालाजी की मौत का बदला लेने का फैसला किया. 17 दिसंबर 1928 दिन तय हुआ स्कॉट की हत्या के लिए. लेकिन निशानदेही में थोड़ी सी चूक हो गई. स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स क्रांतिकारियों का निशाना बन गए.
सांडर्स जब लाहौर के पुलिस हेडक्वार्टर से निकल रहे थे, तभी भगत सिंह और राजगुरु ने उन पर गोली चला दी. भगत सिंह पर कई किताब लिखने वाले जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर चमन लाल ने बताया, ‘सांडर्स पर सबसे पहले गोली राजगुरु ने चलाई थी, उसके बाद भगत सिंह ने सांडर्स पर गोली चलाई.’
सांडर्स की हत्या के बाद दोनों लाहौर से निकल लिए. अंग्रेजी हुकूमत सांडर्स की सरेआम हत्या से बौखला गई. भगत सिंह भगवती चरण वोहरा की वाइफ दुर्गावती देवी के साथ कपल की तरह और राजगुरु नौकर की वेशभूषा में लाहौर से निकल गए.
बहरों को आवाज सुनाने के लिए धमाके
अंग्रेज सरकार दो नए बिल ला रही थी. पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल. कहा जाता है कि ये दो कानून इंडियंस के लिए बेहद खतरनाक थे. सरकार इन्हें पास करने का फैसला ले चुकी थी. बिल के आने से क्रांतिकारियों के दमन की तैयारी थी. ये अप्रैल 1929 का वक्त था. तय हुआ कि असेंबली में बम फेंका जाएगा. किसी की जान लेने के लिए नहीं, बस सरकार और लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए. बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह इस काम के लिए चुने गए. 8 अप्रैल 1929 को जब दिल्ली की असेंबली में बिल पर बहस चल रही थी, तभी असेंबली के उस हिस्से में, जहां कोई नहीं बैठा हुआ था, वहां दोनों ने बम फेंककर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
क्यों हुई भगत सिंह की गिरफ्तारी?
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि भगत सिंह को फांसी असेंबली पर बम फेंकने की वजह से हुई. पर ऐसा नहीं है. असेंबली में बम फेंकने के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह के पकड़े जाने के बाद क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ. राजगुरु को पुणे से अरेस्ट किया गया. सुखदेव भी अप्रैल महीने में ही लाहौर से गिरफ्तार कर लिए गए. भगत सिंह को पूरी तरह फंसाने के लिए अंग्रजी सरकार ने पुराने केस खंगालने शुरू कर दिए.