हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी
जिसको भी देखना हो, कई बार देखना: निदा फाज़ली
लिटिलपने में एक फिल्मी गाना याद हो गया था. गाने के बोल थे- ‘देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान. सूरज न बदला, चांद न बदला न बदला रे आसमान. कितना बदल गया इंसान.’
गाने से आज वाले समय पर लौटते हैं. आज यानी वो वक्त, जब समय बड़ा बेढंगा हो गया है. गड़े मुर्दे उखाड़ना जानता है. डिजिटल युग का ये स्क्रीनशॉट काल है. इसकी सबसे ज्यादा मार उन लोगों को झेलनी पड़ती है जो ट्विटर, फेसबुक की छाती पर चढ़कर सत्ता में आए. ऊपर से शुरू करते हैं. अपने प्रिय पीएम नरेंद्र मोदी. 2014 में विद द हेल्प ऑफ डेमोक्रेसी प्रधानमंत्री बन गए थे. मोदी ने लोकसभा चुनाव जीतने से पहले वही काम किया, जो ज्यादातर नेता करते हैं.
दे धनादन वादे एंड जुमलेबाजी. ये दौर तब का था, जब मोदी गुजरात के सीएम तत्कालीन और पीएम इन पाइपलाइन थे. तब उन्होंने तब की केंद्र में बैठी यूपीए सरकार को खूब घेरा था. घेरने का सावन उस रोज ज्यादा घना हो जाता था, जिस दिन पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन होता, या इंडिया के किसी हिस्से में कोई आतंकवादी हमला होता. ये तब की बात है, जब मोदी आतंकी हमलों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हुए ट्वीट करते. अब सीधे आज 19 सितंबर पर लौटते हैं.
उरी में आर्मी बेस पर आतंकी हमला हुआ. पाकिस्तान की तरफ से आतंकी आए, हमारे 17 जवान शहीद हो गए. पीएम मोदी ने ट्वीट कर हमले की कड़ी निंदा की. कड़ी निंदा करने की जिम्मेदारी बाकी लोगों ने भी तसल्लीबख्श निभाई. हमले के बाद मोदी ने जो बातें कहीं, वो उनका आफ्टर 2014 वर्जन था. लेकिन लोगों को याद आए वो पुराने 56 इंचीय छाती वाले मोदी, जो पाकिस्तान पर चढ़ाई की बात करते थे. फिर क्या, चहुओर मोदी के पुराने ट्वीट तैरने लगे. और लोग कहने लगे, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई मितरों… कितना बदल गया इंसान.
हम भी मोदी के कुछ पुराने ट्वीटस और एक वीडियो खोज लाए हैं. यहां चिपकाए दे रहे हैं. ताकि सनद रहे. क्योंकि लोहिया कह गए थे, जिंदा कौमें 5 साल इंतजार नहीं करतीं.