माता सीता का कोई कसूर नहीं था, इसके बाद भी भगवान राम ने उन्हें जंगल भेज दिया. इतना अत्याचार कि हजारों साल बाद किसी ने भगवान को कोर्ट में खड़ा कर दिया. अब हम ये तो कहेंगे नहीं कि अगले ने पब्लिसिटी के लिए ये तिकड़म भिड़ाई थी लेकिन किसी और को ऐसे ही फेमस होना हो और गड़े मुर्दे उखाड़े न उखड़ रहे हों तो कानूनी राय हम दे रहे हैं. इन लोगों पर भी लगे हाथ केस कर दो.
कुंती– भारतीय दंड संहिता की धारा 317
परित्याग की मंशा से अभिभावकों या अन्य द्वारा बच्चों को आश्रय न देना या हमेशा के लिए छोड़ना.
क्यों- कुंती ने अपने नवजात बेटे कर्ण को चर्मवती नदी में बहा दिया था.
वसुदेव- धारा 362, 363- (क), 365
किसी व्यक्ति का गुप्त रीति से और सदोष परिरोध करने के आशय से व्यपहरण या अपहरण. साथ में जेल तोड़कर भागने का केस चलेगा अलग से.
क्यों- वसुदेव कंस की जेल से भाग गए थे और चोरी छुपे अपने बच्चे को गोकुल में छोड़ आए थे. ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस बनता है.
हरिश्चंद्र– धारा 120 (बी), 420, 466 से 471
धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, फर्जीवाड़ा, ये जानते हुए कि गलत है उसे सही बताना.
क्यों- राजा हरिश्चंद्र ने अपने बुरे दिनों में मुर्दाघाट में मुर्दे जलाने का काम किया था. वो तो राजा थे और काम चांडालों का जाहिर है झूठ बोलकर नौकरी हथियाई थी.