राजनीति में भावुकता कई बार काम खऱाब कर देती है. खास तौर से तब, जब आपके चारों तरफ कैमरे और आवाज रिकॉर्ड करने वाले यंत्र हों. हर शब्द तौलकर बोलिए, वरना सवालों की बौछार के लिए तैयार रहिए.
साभार :- The Lallantop
सोमवार को लखनऊ में जब सपा के तीन बड़े सूरमा, (मुलायम, अखिलेश और शिवपाल) बोले तो भावुकता में अपनी सियासत की कई स्याह बातें उजागर कर गए. वे बातें जो इन तीनों के दिलो-दिमाग में थीं, लेकिन कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो ये सब नहीं कहते.
क्या थीं वे बातें… आइए बताते हैं.
1. अखिलेश यादव:
‘नेताजी ने मुझसे कहा कि सीएम बचाएगा तो प्रजापति बच जाएगा. मैंने उनसे कहा कि वो मेरी सुनता नहीं है.’
यहां बात हो रही है गायत्री प्रजापति की, जो अखिलेश कैबिनेट में खनन मंत्री थे. खनन घोटाले में नाम आने के बाद अखिलेश यादव ने 12 सितंबर को कैबिनेट से इनकी छुट्टी कर दी थी. प्रजापति के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था और एक महिला ने इन पर रेप का आरोप भी लगाया था. दो हफ्ते की खींचतान के बाद मुलायम के कहने पर अखिलेश ने 26 सितंबर को उन्हें वापस कैबिनेट में ले लिया.
अब अखिलेश ने जो बात कही है, उसके मुताबिक मुलायम सीएम पर प्रजापति को बचाने का दबाव बना रहे थे. सवाल ये है कि जिस आदमी के खिलाफ हाई कोर्ट ने जांच का आदेश दिया है, उसे सीएम कैसे बचा सकता है और किस हक से उसे बचाया जाना चाहिए. क्या मुख्यमंत्री चाहे तो किसी दागी को बचा सकता है? क्या मुलायम दागियों को बचाने की सिफारिशें करते हैं?
2. शिवपाल यादव
‘अब जमीनें कब्जा नहीं की जाएंगी. अब गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार नहीं होगा.’
शिवपाल जब पार्टी को दिया अपना योगदान गिना रहे थे, तभी भावुकता में उनके मुंह से ये बात निकली. संकेत साफ है. सपा सरकार में अब तक जमीनें कब्जा की जा रही थीं और भ्रष्टाचार हो रहा था. जब पार्टी से लेकर सरकार तक को इसका पता था, तो इसके खिलाफ क्या कदम उठाया? ये सब किसकी सरपरस्ती में चल रहा था? उस समय चल रहा था, जब मुलायम ही पार्टी में सब कुछ देख रहे थे, तो क्या वो दोषी नहीं हैं?
एक और सवाल. आखिर कौन जमीनें कब्जा कर रहा था? शिवपाल का इशारा रामगोपाल पर था या मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक पर? जब ये सब हो रहा था तो नेताजी क्या कर रहे थे?
3. मुलायम सिंह यादव
‘अमर सिंह ने मुझे बचाया है. वो न बचाते तो मुझे सात साल की सजा हो जाती.’
मुलायम कह रहे हैं कि अमर ने उन्हें बचाया था. ‘आय से ज्यादा संपत्ति’ वाले केस की बात हो रही है. 2007 में एक नामालूम शख्स विश्वनाथ चतुर्वेदी ने उन पर केस करते हुए मुद्दा उठाया था कि 1979 में 79 हजार रुपए की संपत्ति वाला समाजवादी करोड़ों की संपत्ति का मालिक कहां से बन गया.
लेकिन अमर ने मुलायम को किस हैसियत से बचाया? वो किस हैसियत से बचा पाए? क्या अमर सिंह उस कोर्ट के जज थे, जहां सुनवाई हुई? क्या अमर के पास सीबीआई का कोई पद था? क्या ‘अमर प्रेम’ में मुलायम किसी ‘सेटिंग’ की ओर इशारा कर गए? अमर सिंह ने आपको बचाया, ये आपने बता दिया. कैसे बचाया अब ये भी बताइए.
4. मुलायम सिंह यादव:
‘मुख्तार अंसारी का परिवार सम्मानित और ईमानदार है. उप-राष्ट्रपति उनके परिवार से मिलकर आए हैं.’
मुख्तार अंसारी. वो आदमी जो राजनीति में नहीं घुस पाया तो ठेकेदारी करने लगा. 1988 में मुख्तार ने मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर सच्चिदानंद राय की हत्या की. ये पहली बार था, जब मुख्तार का नाम पुलिस की फाइल में आया. अपने दुश्मन त्रिभुवन सिंह के कॉन्स्टेबल भाई राजेंद्र की हत्या में भी मुख्तार का नाम है. 1991 में दो पुलिसवालों को गोली मारकर फरार भी हुए. शराब और कोयले के ठेकेदार मुख्तार अपने भाई अफजल की चुनावी हार से इतना बौखला गए थे कि विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी. इसमें बरी हुए. 2005 में मऊ दंगे के बाद सरेंडर कर दिया. उन पर मर्डर-किडनैपिंग से जुड़े 31 मामले दर्ज हैं. मायावती ने पार्टी से निकाला तो खुद की पार्टी कौमी एकता दल बना ली.
मुलायम सिंह अचानक मुख्तार अंसारी के परिवार के बारे में क्यों बात करने लगे? उन्होंने कहा कि उनसे उप-राष्ट्रपति भी मिलने गए थे. क्या ये मुलाकात ईमानदारी का प्रमाण है? क्या जिस विलय को उन्होंने मंजूरी दी थी, वो अंसारी के ‘पारिवारिक रसूख’ के आधार पर दी थी. क्या राजनीतिक गठबंधन परिवारों से किए जाते हैं? कौमी एकता दल के मुखिया पर 31 क्रिमिनल केस हैं. परिवार को आगे करके मुलायम इसे छिपा रहे थे?
http://www.thelallantop.com/bherant/yadav-family-revealed-dark-secrets-of-polictics-after-scramble/