जम्मू-कश्मीर का राजौरी जिला. नौशेरा सेक्टर. रविवार को पाकिस्तान ने 24 घंटे के अंदर दो बार सीजफायर को तोड़ा. भारत ने जवाब दिया लेकिन शाम की फायरिंग में भारतीय सेना के जवान सुधीश कुमार शहीद हो गए.
साभार:- The Lallantop
शहीद होने से पहले उन्होंने अपने चचेरे भाई से बात की थी. उन्होंने व्हाट्सएप पर भाई को अपनी तस्वीर भेजी थी. उन्होंने कहा था कि 1 बजे ड्यूटी पर जाना है. अफसोस वो ऐसे गए, जहां से वापस नहीं आ सकते. फैमिली में शोक और मातम छाया है. मगर चचेरा भाई है, जो आर्मी में हैं, उसका कहना है कि वो अपने भाई की शहादत का बदला लेगा.
पंसुखा मिलक के रहने वाले ब्रह्मपाल पेशे से किसान हैं. तीन बेटे हैं उनके. बड़ा बेटा अनिल कुमार पिता के साथ ही खेती करता है, दूसरा बेटा सुधीश कुमार इंडिया-पाक बॉर्डर पर राजौरी में तैनात था. 24 साल के सुधीश 6 राजपूत रेजीमेंट के सिपाही थे और एलओसी पर तैनात थे. उनका पार्थिव शरीर आज शाम को उनके गांव पहुंचेगा.
सुधीश कुमार फैमिली में सबके दुलारे थे. माता-पिता के साथ अपनी भाभी और चचेरे भाई कपिल कुमार से हर रोज उनकी बात होती थी. कपिल कुमार भी फौज में हैं और इन दिनों छुट्टी पर गांव आए थे. सुधीश कुमार ने शहीद होने से पहले कपिल को आखिरी कॉल की. दोनों फोन पर हंसे-खिलखिलाए. छोटे भाई से पूछा- ‘तू कैसा है. क्या कर रहा है. घर पर सब ठीक है. बस ये ही बातें हुईं और कहा एक बजे ड्यूटी पर जाना है.’
सुधीश की 2013 में शादी हुई थी. उनके एक चार महीने की बच्ची है. जिसे सुधीश अभी जी भर के देख भी नहीं पाए थे. दिवाली पर घर आने का वादा किया था.
‘भाई की शहादत का बदला लूंगा’
सुधीश के चचेरे भाई कपिल कुमार भी फौज में हैं और इन दिनों छुट्टी पर गांव आए थे. उन्होंने बताया कि सुधीश देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा रखता था. सुधीश को देखकर ही मैं चार साल पहले आर्मी में शामिल हुआ. मैं अपनी भई की शहादत को यूं ही नहीं जाने दूंगा. दुश्मन को मारूंगा और शहादत का बदला लूंगा. हम दोनों के बीच हर रोज बात होती थी. सुधीश कुमार कहते थे कि अपने लिए तो सभी जीते हैं कुछ लोगों को देश के लिए भी जीना चाहिए. उनकी शहादत ने गांव का ही नहीं बल्कि पूरे जिले और पूरे देश का नाम ऊंचा किया है. हमारी पूरी फैमिली को उनकी शहादत पर फख्र है.