भक्तसिंह के बारे में कुछ ही लोगो को पता होगा की उसकी चिता को दो बार जलाया गया था लेकिन ये बाद बिलकुल सच है उनकी चिता को दो बार आग के हवाले किया गया था आपको यकीन नही होरहा होगा लेकिन ये सच है ऐसा नही की आजादी के मतबालो को मरना इतना आसान था इनको मारने की हिम्मत अच्छे अचे की नही होती थी लेकिन इनको धोके से मारा जाता था ऐसा ही कुछ भगतसिंह के साथ हुआ जाने भक्तसिंह के बारे में ! भगतसिंह की मौत से जुड़ा सबसे बड़ा सच है ये की भक्तसिंह सुखदेव और राजगुरू को अंग्रेजो ने जनता के डर से एक दिन पहले ही फाँसी पर लड़का दिया था उसके बाद इन बेरहम अंग्रेजो ने इनके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर सतलज नदी के किनारे हुसेनी बाला के पास जलाया था लेकिन देश के लोगो को इन बीर पुत्रो का यहाँ पर जलाना अफमान जनक लगा उसके बाद स्वदेसियो ने सम्मान के साथ इन वीर पुत्रो का अंतिम संस्कार लाहौर के पास रावी नदी में किया था ! ऐसा कहा जाता है की 23 मार्च 1931 को इन दोनों सेनानियो को फाँसी देदी गई थी उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत के अनुसार इनके शवो के टुकटे किए गई थे फिर इनको चुप चाप सतलज नदी के किनारे लेजाकर इनके शवो को बेहद अफमान के साथ जलाया जारहा था लेकिन इस बात की खवर देश वासियो को लगी इसी इसी समय बहा हजारो की संख्या में लोग इखट्टा हो गए जिनमे लाल लाजपत राय की बेटी पार्बती और भगतसिंह की वहन बीबी अमर कौर भी मौजूद थी ! इतनी भीड़ को देख कर अंग्रेज उनके शवो को अधजला छोड़ बहा से भाग निकले उसके बाद देश के लोगो ने इन वीर पुरुषो के शव को सम्मान पुर्बक लाहौर में रावी नदी के किनारे जलाया था खवर के मुताबिक पता चला है की जब अंग्रेज इनके शव को अधजला छोड़ कर भाग गए थे तव इन लोगो ने इन तीनो के शव को जलती हुई आग से बहार निकाला उसके बाद इनको लाहौर ले गए लाहौर में तीनो सहीदो के लिए तीन अरतिया बनाई गई ! सम्मान पुर्बक इन तीनो की शव यात्रा निकाली गई उसके बाद हजारो लोगो की भीड़ के सामने इनको सम्मान पूर्वक अग्नि के हबाले किया गया था इस लिए कहा जाता है की भगतसिंह की चिता को दो बार अग्नि दी गई ही इस सच्ची घटना का वर्णन सुखदेव के भाई मथुरा दास ने अपनी किताब मेरे भाई सुखदेवमें लिखा है ! http://therednews.com/News/3303/Bhagat-Singhs-funeral-pyre-was-lit-twice-Why