यूपीएससी परीक्षा में उसे 85 वें रैंक (पूरे भारतमे)के साथ, “संजुक्ता पाराशर” एक आरामदायक डेस्क काम के लिए चुनी जा सकती थीं। जवाहरलाल विश्वविद्यालय से Ph.Dकरने के बाद औरदो साल बेटे के होने के बावजूद उन्होनें एक कठिन रास्ता चुना जैस्पर चलते हुए वो हर रोज आतंक से लड़ रही हैं।
कुछ समय पूर्व,उनकी सेना पर घातक हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को भी उन्होने अपनी टीम के साथ मिलकर गिरफ्तार किया। जिस जंगल मे रहकर उन्होने इस बहदुरी का परिचय दिया,इस जंगल का प्रयोग उग्रवादियों द्वारा छलावरण के लिए प्रयोग होता था। इतना ही नहीं ये बेहद नमी के साथ साथ एक दुर्गम इलाका है जहां मूसलाधार बारिशके साथ साथ कई खतरनाक जीव जन्तु भी हैं।
वहाँ के ही कुछ स्थानीय लोगों आतंकवादियों के मुखबिर बने हैंजो कि सेना की जानकारीउन तक पहुँचाते रहते हैं। इनसब के बावजूद भी इस बहादुर महिला आईपीएस ने कुछ ही महीनों के अंतराल मे 16 आतंकवादियों को मार गिराया तथा 64 आतंकवादियों को धर दबोचा। इतना ही नहीं,India Today के हिसाब से इन्होने अपनी सूझबूझ से भारी मात्र मे हथियार और गोला बारूद भी बरामद किया है।
असम की पहली आईपीएस अधिकारी के रूप में, वे राज्य की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण है और देश की हर लड़की के लिए एक रोल मॉडल है ।
उनमे क्षमता है की वो छोटे छोटे उपयोगों के द्वारा एक बड़ा प्रभाव बनाने मे सक्षम हैं।