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भाग -4

7 जून 2022

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गुलाबसिंह की जब आँख खुली तो रात बीत चुकी थी और सुबह की सुफेदी में पूरब तरफ लालिमा दिखाई देने लग गई थी। वह घबराकर उठ बैठा और इधर-उधर देखने लगा। जब प्रभाकर सिंह को वहाँ न पाया तब बोल उठा, “बेशक् मैं धोखा खा गया। वह मुसाफिर न था बल्कि कोई ऐयार था जिसने लोटे में किसी तरह की दवा लगा दी होगी। क्या मैं कह सकता हूँ कि प्रभाकर सिंह को वही उठा ले गया होगा?”

इतना कह वह जगत के नीचे उतरा और घूम-घूमकर प्रभाकर सिंह की तलाश करने लगा। जब वे न मिले तो तरह-तरह की बातें मन में सोचता हुआ आगे की तरफ बढ़ा-

“बेशक् वह कोई ऐयार था जो प्रभाकर सिंह को उठाकर ले गया। ताज्जुब नहीं कि वह भूतनाथ हो। यद्यपि मुझे उससे ऐसी आशा न थी परन्तु आजकल वह जमना और सरस्वती के खयाल से प्रभाकर सिंह को भी अपना दुश्मन समझने लग गया है। यह भी किसी को क्या उम्मीद थी कि जमना और सरस्वती जीती होंगी। खैर मुझे इस समय प्रभाकर सिंह के लिए कुछ बंदोबस्त करना चाहिए, बेहतर होगा यदि मैं स्वयं भूतनाथ के पास चला जाऊँ और उससे प्रभाकर सिंह को माँग लूँ। मगर नहीं, यद्यपि वह मेरा दोस्त है परन्तु इस समय वह दोस्ती पर कुछ भी ध्यान न देगा। अगर उसे ऐसा ही खयाल होता तो प्रभाकर सिंह को ले जाता ही क्यों?, मुझे भी इस समय उससे किसी तरह की उम्मीद न रखनी चाहिए, क्योंकि अब हम लोग दयाराम के खयाल से जमना और सरस्वती के पक्षपाती हो गये हैं, अस्तु अब उसके लिए कोई दूसरा ही बंदोबस्त करना चाहिए। अगर उस खोह का रास्ता मुझे मालूम होता तो मैं जमना और सरस्वती को भी इस बात की खबर दे देता। अब मुझे दलीपशाह के पास चलना चाहिए और उससे मदद माँगनी चाहिए, क्योंकि मैं अकेले भूतनाथ का मुकाबला नहीं कर सकता। दलीपशाह जरूर मेरी मदद करेगा, उस पर मेरा जोर भी है और उसने मेरे साथ अपनी मुहब्बत भी दिखाई है, मगर पहिले अपने आदमियों को समझा देना चाहिए जो अभी तक हम लोगों का इंतजार कर रहे होंगे!”

इत्यादि तरह-तरह की बातें सोचता हुआ गुलाबसिंह आगे की तरह बढ़ा चला जाता था। लगभग एक या डेढ़ कोस गया होगा कि सामने से दो सिपाही ढाल-तलवार लगाए दो घोड़ों की बागडोर थामे आते हुए दिखाई पड़े। जब वे गुलाबसिंह के पास पहुंचे तो सलाम करके खड़े हो गए और गुलाबसिंह भी रुक गया।

गुलाबसिंह : तुम लोग कहाँ जा रहे हो?

एक : आप ही की खोज में जा रहे हैं, क्योंकि रात भर इंतजार करके हम लोग.

गुलाबसिंह : (बात काट कर) बेशक् तुम लोग तरद्दुद में पड़ गए होंगे, मगर क्या करें लाचारी है, अच्छा यह कहो कि बाकी आदमी कहाँ हैं?

एक : अभी तक सब उसी जगह अटके हुए हैं।

गुलाबसिंह : अच्छा एक काम करो, तुम घोड़ा यहीं छोड़ दो और लौट जाओ, हमारे आदमियों को इत्तिला दो कि हमारे घर पर चले जाएँ, पुराने घर पर नहीं आजकल जहाँ हम रहते हैं उस घर पर चले जाएँ, और जब तक हम या प्रभाकर सिंह वहाँ न आवे तब तक कहीं न जाएँ। मैं इस घोड़े पर सवार होकर किसी काम के लिए जाता सिपाही की तरफ देखकर) तुम इस दूसरे घोड़े पर सवार हो लो और मेरे साथ-साथ चलो।

इतना कहकर गुलाबसिंह घोड़े पर सवार हो गया। “जो हुक्म’ कहकर एक सिपाही तो पीछे की तरफ लौट गया और दूसरा घोड़े पर सवार होकर गुलाबसिंह के साथ रवाना हुआ।

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रचनाएँ
भूतनाथ-खण्ड-2
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भूतनाथ बाबू देवकीनंदन खत्री का तिलस्मि उपन्यास है। चन्द्रकान्ता सन्तति के एक पात्र को नायक का रूप देकर देवकीनन्दन खत्री जी ने इस उपन्यास की रचना की। किन्तु असामायिक मृत्यु के कारण वे इस उपन्यास के केवल छः भागों लिख पाये उसके बाद के अगले भाग को उनके पुत्र दुर्गाप्रसाद खत्री ने लिख कर पूरा किया।
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भाग -1

7 जून 2022
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रात बहुत कम बाकी थी जब बिमला और इंदुमति लौट कर घर में आईं जहाँ कला को अकेली छोड़ गई थीं। यहाँ आते ही बिमला ने देखा कि उसकी प्यारी लौंडी चंदो जमीन पर पड़ी हुई मौत का इंतजार कर रही है। उसका दम टूटा ही च

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भाग -2

7 जून 2022
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दिन पहर भर से कुछ ज्यादा हो चुका है। यद्यपि अभी दोपहर होने में बहुत देर है तो भी धूप की गर्मी इस तरह बढ़ रही है कि अभी से पहाड़ के पत्थर गर्म हो रहे हैं और उन पर पैरी रखने की इच्छा नहीं होती, दो पहर द

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भाग - 3

7 जून 2022
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क्या भूतनाथ को कोई अपना दोस्त कह सकता था? क्या भूतनाथ के दिल में किसी की मुहब्बत कायम रह सकती थी? क्या भूतनाथ किसी के एहसान का पाबंद रह सकता था? क्या भूतनाथ पर किसी का दबाव पड़ सकता था? क्या भूतनाथ पर

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भाग -4

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भाग -5

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ऊपर लिखी वारदात को गुजरे आज कई दिन हो चुके हैं। इस बीच में कहाँ और क्या-क्या नई बातें पैदा हुईं उनका हाल तो पीछे मालूम होगा, इस समय हम पाठकों को कला और बिमला की उसी सुन्दर घाटी में ले चलते हैं जिसकी स

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भाग - 6

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दिन तीन पहर से ज्यादा बढ़ चुका है। इस समय हम भूतनाथ को एक घने जंगल में अपने तीन साथियों के साथ पेड़ के नीचे बैठे हुए देखते हैं। यह जंगल उस घाटी से बहुत दूर न था जिसमें भूतनाथ रहता था और जिसका रास्ता ब

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भाग - 7

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जमानिया वाला दलीपशाह का मकान बहुत ही सुन्दर और अमीराना ढंग पर गुजारा करने लायक बना हुआ है। उसमें जनाना और मर्दाना किला इस ढंग से बना है कि भीतर से दरवाजा खोलकर जब चाहे एक कर ले और अगर भीतर रास्ता बंद

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भाग -8

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भूतनाथ को जब अपनी घाटी में घुसने का रास्ता नहीं मिला तो वह प्रभाकर सिंह को एक दूसरे ही स्थान में ले जाकर रख आया था और अपने दो आदमी उनकी हिफाजत के लिए छोड़ दिये थे। अब जब भूतनाथ महात्मा जी की कृपा से अ

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भाग - 9

7 जून 2022
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अबकी दफे भूतनाथ ने प्रभाकर सिंह को बड़ी सख्ती के साथ कैद किया, पैरों में बेड़ी और हाथों में दोहरी हथकड़ी डाल दी और उसी गुफा के अन्दर रख दिया जिसमें स्वयं रहता था और उसके (गुफा के) बाहर आप चारपाई डाल र

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भाग -10

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दोपहर का समय है मगर सूर्यदेव नहीं दिखाई देते। आसमान गहरे बादलों से भरा हुआ है। ठंडी-ठंडी हवा चल रही है और जान पड़ता है कि मूसलाधार पानी बरसा ही चाहता है। भूतनाथ अपनी घाटी के बाहर निकल कर अकेला ही तैय

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भाग -11

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भूतनाथ के हाथ से छुटकारा पाकर प्रभाकर सिंह अपनी स्त्री से मिलने के लिये उस घाटी में चले गये जिसमें कला और बिमला रहती थीं। संध्या का समय था जब वे उस घाटी में पहुँचकर कला, बिमला और इंदुमति से मिले। उस स

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भाग -12

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गुलाबसिंह को साथ लेकर प्रभाकर सिंह नौगढ़ चले गये। वहाँ उन्हें फौज में एक ऊँचे दर्जे की नौकरी मिल गई और चुनार पर चढ़ाई होने से उन्होंने दिल का हौसला खूब ही निकाला। वे मुद्दत तक लौटकर इंदुमति के पास न आ

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भाग -13

7 जून 2022
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प्रेमी पाठक महाशय, अभी तक भूतनाथ के विषय में जो कुछ हम लिख आये हैं उसे आप भूतनाथ के जीवनी की भूमिका ही समझें, भूतनाथ का मजेदार हाल जो अद्भुत घटनाओं से भरा हुआ है पढ़ने के लिए अभी आप थोड़ा-सा और सब्र क

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