"भोजपुरी गीत"
चल चली वोट देवे रीति बड़ पुरानी
नीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......
लागता न लूह, न शरम कौनो बाति के
घूमताटें नेता लोग दिन अउर राति के
केके देई वोट केकरा के गरिआईं
उठल बाटें कई जनी हवें अपने जाति के
लोगवा के मानी त होई जाई नादानी
नीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......चल चली वोट.....
भागु रे पतरकी बिहाने अइलें समधी
साथे बाटें उनके मोहल्ला के लमधी
ताकेलें अइसन कि नोचि लीहें झुलनी
हाथ जोरि कहताटें वोट दे द कीमती
सुख संपति अरु विकास मनमानी
नीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......चल चली वोट.....
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी