राजकुमारी ने जैसे ही तलवार का वार वीरप्पा पर करना चाहा तो कार्तिक ने
चमगादड़ और चुड़ैलों से घिरे राजकुमार और राजकुमारी दोनो एक दूसरे को ताकन
वृद्ध सैनिक के पीछे पीछे अंधेरे गलियारे से होते हुए राजकुमार और कार्त
कार्तिक राजकुमार के गले लग जाता है और दोनो मित्र रोने लग जाते है।
दरवाजे के खुलते ही सामने सुसज्जित सेना के साथ खड़े वीरप्पा को देखकर रा
रातभर राजकुमारी की आंखों में नींद नही थी। प्रातःकाल का इंतजार उसके लि
वीरप्पा के सैनिक को पकड़ने के बाद कार्तिक उसको वश में कर लेता है। वीरप
जंगल मे आकर तीनो ने सोचा कि यदि वीरप्पा ने कोई चाल चलकर राज्य में किस
काल
हाथ मे तलवार लेकर कार्तिक सोचता हुआ राजकुमारी की तरफ बढ़ रहा था, उत्सु
वीरप्पा को इस तरह अट्टहास करते देख और उसके छल को जानने के बाद प्रजा क
वीरप्पा का राजकुमारी के रूप में आदेश सम्पूर्ण सेना को पहुंचा दिया गया
ऋषि की सेना,राजकुमार और पण्डितपुत्र सबने मिलकर दीवार तो हटा दी लेकिन
वीरप्पा एक रोज शयन कक्ष में सो रहा था। रूप राजकुंमारी का था लेकिन मष्
कैद में वीरप्पा का आज अंतिम दिन था। वीरप्पा के साथ साथ शाही परिवार भी