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भूत-प्रेत

hindi articles, stories and books related to Bhut-pret


नादिया बात करते-करते रोने लगी फिर वो एक ठंडी आह भरकर बोली अगर मैं दुन

ऋषि द्रुम शीघ्रता से गुफा में जाना चाहते थे लेकिन चमगादड़ ने उन्हें रो

राजकुमार- मित्र यह इस जंगल मे सन्त लोग कौन है? सुना है कि प्रखर साधु

राजकुमार और पंडित पुत्र ने रात्रि में वहीं विश्राम किया और प्रातःकाल

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दोस्तो अगर आपसे कहा जाए कि आप रात के 12 बजे श्मशान अकेले जा सकते हैं ? तो जवाब होगा न

कैद में वीरप्पा ने आपानी योजना को आगे बढ़ाना शुरू किया। रात को जब पहरे

दरबार मे स्थान पाकर अब वीरप्पा के मष्तिष्क में कुटिलता दिनों दिन बढ़ने

मोबाइल में बजती अलार्म की घंटी ने शिखा को जगा दिया था। शिखा का नियम थ

मैं नदिया के बाप के पीछे पीछे चलना लगा...
मेरे दिमाग़ में बहुत से

वीरप्पा अब राजमहल में पहुंच चुका था। एक अलग भेष में, राजकुमारी के रूप

मोहनलाल के जाने के बाद मैं इन सब बातों पर गौर कर ही रहा था तभी अचानक

वीरप्पा सोचते सोचते राजकुमारी पर आकर अटक गया। वीरप्पा ने सोचा कि अब ज

मोहनलाल ने सही कहा था लगभग 15 मिनट के बाद हम लोग एक मकान के सामने खड़

वीरप्पा अब असमंझस में पड़ गया। ताकतवर बनने के लिए उसने शैतानी शक्तियों

चांडाल की सेना का सेनापति बनकर वीरप्पा उनसे शैतानी ताकतों के बारे में

शापित पहाड़ी

वह अपनी मस्ती में घूमते-घूमते पहाड़ों में बहुत दूर निकल आया था।

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