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चौथा दृश्य

12 फरवरी 2022

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(जेनी का मकान, संध्या का समय। विलियम टेनिस सूट पहने, मूंछे मुँडाए, एक रैकेट हाथ में लिए, नशे में चूर आता है।)
जेनी – आज तो तुमने नया रूप भरा है विलियम। यह किस गधे ने तुमसे कहा कि मूंछे मुँडा लो! बिल्कुल हिजड़ों से लगते हो। अपने सिर की कसम! यह तुम्हें क्या सनक सवार हुई। अच्छी खासी मूंछे थीं, मुडाकर सफाया कर दिया। जब जाकर आईने में अपनी सूरत देखो। एक तो माशा अल्लाह आप यों ही बड़े रूपवान हैं, उस पर मूंछे मुँडा लीं। हो निरे गावदी।
विलियम – (कुर्सी जेनी के पास खींचकर) आज का दिन बड़ा मुबारक है जेनी!
जेनी – (मुँह फेरकर) अरे तुमने तो शराब पी है। (नाक बन्द करके) नाक फटी जाती है। अलग बैठिए आप। आज तुम्हें हो क्या गया है?
विलियम – (जेनी की तरफ झुककर) आज मेरा दिमाग सातवें आसमान पर है जेनी। मैं विलियम नहीं हूँ अब। आज मैं उस जीवन का स्वप्न देख रहा हूँ, जिस पर फरिश्ते भी लट्ट होते हैं। आज मुझे यह वरदान मिलने वाला है। जिस पर तीनों लोक की निधि कुरबान है, आज मैं तुम्हें अपनी जीवन-सहचरी बनने की दावत देने आया हूँ। आज मैं प्रोपोज कर रहा हूँ। (कुर्सी से उतरकर जेनी के पैरों पर सिर रख देता है) देखो जेनी, खुदा के लिए इंकार मत करना। बोलो, मेरी प्रार्थना स्वीकार करती हो? तुम्हारे मुख के एक शब्द पर मेरे भाग्य का दारमदार है। अगर 'हाँ' कहती हो तो मुझसे बड़ा भाग्यशाली संसार में नहीं। 'न' कहती हो, तो मुझसे बड़ा अभागा संसार में न होगा। यदि तुम्हें मुड़ी हुई मूंछे पसंद नहीं हैं तो मैं फिर रख लूँगा। देखो, मैंने इसी दिन के लिए यह सूट बनवाया है, और मुझे यकीन है कि यह मुझे बुरा नहीं लगता।
जेनी – बिल्कुल नहीं, खुदा बुरी नजर से बचाए।
विलियम – (अकड़कर) मैं टेनिस बहुत अच्छा खेलने लगा हूँ।
जेनी – सच?
विलियम – अपने सिर की कसम! और प्यानो भी खूब बजा लेता हूँ।
जेनी – ओहो! अब तुम पूरे उस्ताद हो गए।
विलियम – नाचता ऐसा हूँ कि तुम देखो तो खुद नाचने लगो।
जेनी – वाह! अब तो कोई वजह नहीं हैं कि मैं तुमसे शादी न करूँ।
विलियम – वह मेरी जिन्दगी का सबसे मुबारक दिन होगा।
जेनी – अच्छा तो आओ हमारी-तुम्हारी शर्ते तै हो जायें।
विलियम – सब कुछ गिरजे में हो जायेगा, जेनी! ओ हो! जिस वक्त मैं तुम्हें आलटर की तरफ ले चलूँगा, तुम रेशमी गाउन पहने, हाथ में गुलदस्ता लिये मेरे कंधे पर सिर रखे चलोगी, वह कितनी मुबारक घड़ी होगी।
जेनी – मुझे उस स्वांग से नफरत है।
विलियम – (ताज्जुब से) तो फिर और कैसे शादी होगी जेनी!
जेनी – तुम मेरी शर्ते मान लो, बस शादी हो गई। इसकी क्या जरूरत कि गिरजे चलें, पादरी आए, मेहमान जमा हों, बाजे बजे, रस्में अदा हों। मुझे वह तमाशा पसंद नहीं। बोलो, मेरी शर्ते मंजूर करोगे।
विलियम – (निराश होकर) क्या शर्ते हैं जेनी?
जेनी – मेरी पहली शर्त यह होगी कि जिस दिन तुम्हें किसी दूसरी औरत से बातें करते देखू, उसी दिन तुम्हें घर से निकाल दूँगी।
विलियम – (प्रसन्न होकर) हाँ, मंजूर है जेनी?
जेनी – मेरी दूसरी शर्त यह होगी कि शादी के बाद भी मुझे अख्तियार होगा, जिससे चाहूँ हँसू-बोलूँ, जहाँ चाहे आऊँ-जाऊँ, जिससे चाहूँ प्रेम करूँ। बोलो मानते हो?
विलियम – यह कैसे मुमकिन है, जेनी! तुम हँसी करती हो। उस वक्त अगर कोई मर्द तुम्हारी तरफ आँखें भी उठाये, तो उसका खून पी जाऊँ, खोदकर जमीन में गाड़ दूँ, जीता निगल जाऊँ।
जेनी - तो फिर हमारी-तुम्हारी विधि नहीं मिलती।
विलियम – देखो जेनी, मेरी अभिलाषाओं का खून न करो। मेरी जिन्दगी बरबाद हो जाएगी।
जेनी – अच्छा बस, अब हँसी हो चुकी विलियम! तुमने कभी सोचा है, तुम क्यों शादी करना चाहते हो?
विलियम – (हक्का-बक्का होकर) आखिर और सब लोग क्यों शादी करते हैं?
जेनी – और सब लोग झक मारते हैं। मैं तुमसे पूछती हूँ, तुम क्यों शादी करना चाहते हो?
(विलियम सिर खुजलाता है और बगलें झाँकता है।
जेनी – तुम्हें नहीं मालूम। अच्छा मुझसे सुनो। तुम केवल इसलिए विवाह करना चाहते हो, कि तुम्हारा चित्त प्रसन्न करने के लिए तुम्हारे घर में एक खिलौना आ जाय।
विलियम – बस-बस यही बात है जेनी! तुम कितनी बुद्धिमती हो।
जेनी – तुम इसलिए विवाह करना चाहते हो कि जब मैं बढ़िया सूफियाना साड़ी पहनकर तुम्हारी मोटर साइकिल पर तुम्हारे साथ निकलँ, तो लोग हँस-हँसकर कहे, 'वह जा रहा भाग्य का धनी विलियम!'
विलियम – बस-बस यही बात है, जेनी! सचमुच तुम बड़ी बुद्धिमती हो।
जेनी – इसलिए कि जब तुम अपने अफसरों की दावत करो, तो मैं उनसे मीठी-मीठी बातें करके उनका दिल खुश करूँ और अफसर खुश होकर तुम्हारी तरक्की करें।
विलियम – बस-बस यही बात है जेनी।
जेनी – इसलिए कि तुम्हारे बच्चे हो जायँ और तुमने जो थोड़ीसी चाँदी जमा कर रखी है, उसके वारिस पैदा हो जायें।
विलियम – बस-बस जेनी! सुभान अल्लाह!
जेनी – तो मैंने इसके लिए बहुत अच्छी औरत तलाश कर रखी है। वह मुझसे कहीं अच्छी बीवी होगी तुम्हारी। तुम जैसे रखोगे वैसे रहेगी। जो चाहोगे वह करेगी। तुम्हारे घर में झाडू लगाएगी, तुम्हारा खाना बनाएगी, तुम्हारी बिस्तर लगाएगी।
विलियम – (प्रसन्न होकर) वह कौन है जेनी।
जेनी – मेरी मेहतरानी। गोरी, हँस-मुख, चंचल, बाँकी औरत है।
विलियम – तुम मेरा अपमान कर रही हो जेनी! मैं मेहतरानी से विवाह करूँगा? मैं भी खानदान का शरीफ हूँ।
जेनी – अच्छा! तो तुम ऐसी बीवी चाहते हो, जिससे तुम्हारे खानदान की इज्जत में बट्टा न लगे? विलियम ! तो तुम अभी शादी का अर्थ नहीं समझे।
विलियम – तो क्या मैं नालायक हूँ? मेरे पास ऐसे-ऐसे सर्टिफिकेट हैं कि देखो तो दंग रह जाओ।
जेनी – अच्छा! यह नई बात सुनी।
विलियम – मैं जो जरा चुपचाप रहता हूँ, तो तुमने समझ लिया बस यूँ ही है। अपने मुँह अपनी तारीफ नहीं करना चाहता। इसे मैं ओछापन समझता हूँ! लेकिन अब ऐसा अवसर आ पड़ा है, तो मुझे उन सनदों को पेश करना पड़ेगा। देखो। (जेब से कई चिट्ठियों का पुलिंदा निकालकर) यह मिसेज डगलस का खत है। उन्होंने मेरे टेनिस खेलने की तारीफ की है।
(जेनी खत पढ़ती है - It is hereby certified that Doby William handles his tennis ball just as a skillful wife handles her husband and consequently he should not be disqualified in matrimonial game on this account.)
जेनी – इस सनद ने तो मेरी जबान बन्द कर दी। तुम्हारे पेट में ऐसे-ऐसे गुण भरे हैं?
विलियम - जी हाँ, और आप क्या समझती हैं। देखती जाइए। यह मिस डासन का खत है।
- It is hereby certified that Doby William ha invented an altogether new dance, never heard of before, and nobody else can compete him there. It is an extra qualification in his favour for a matrimonial job.)
जेनी – तुमने ऐसे-ऐसे लाजवाब सर्टिफिकेट छिपा रखे हैं। तुम तो छिपे रुस्तम निकले।
विलियम – देखती जाइए। इस चिट्ठी में हेडमास्टर साहब ने मेरे चाल-चलन की प्रशंसा की है और यह सनद दिखाना तो मैं भूल ही गया। वह हिज़ हाइनेस गवर्नर ने मेरे फादर को दिया था। मुझे कोई मामूली आदमी न समझिए।
(मिसेज डगलस और मिस डासन दो औरतों के साथ आती नजर आती हैं। विलियम फौरन भाग खड़ा होता है)
मिस डासन – मैंने कहा चलूँ विलियम का तमाशा देखती जाऊँ। आज तुम्हें प्रोपोज करने आया था। मेरे सिर हो गया कि मुझे एक सर्टिफिकेट लिख दो। बताओ क्या लिखती।
मिसेज डगलस – निरा अहमक है। मुझसे जिद करने लगा कि टेनिस का सर्टिफिकेट दे दीजिए। रैकेट पकड़ने का तो शऊर नहीं। भला मैं क्या लिखती।
मिस डासन – क्या हुआ, उसने प्रोपोज किया? जरा उसका किस्सा कहो।
मिसेज डगलस – यही सुनने के लिए तो भागी आ रही हूँ।
जेनी – तुम्हें देखते ही भाग खड़ा हुआ। मगर तुमने बड़े मजे का सर्टिफिकेट दिया। फूला न समाता था। जेब में लिए फिरता था।
दोनों लेडियाँ – क्या-क्या! हमने कब कोई चिट्ठी दी!
जेनी – दिखाता तो था!
मिस डासन – तो कमबख्त ने अपने हाथ से लिख ली होगी। जभी भागा। कहाँ हैं दोनों चिट्ठियाँ?
जेनी – चिट्ठियाँ तो लेता गया! पर उसका मजमून मुझे याद है। हजरत ने अपनी दानिस्त में अपनी तारीफ लिखी थी।
(जेनी एक कागज पर दोनों खतों को याद से लिखती है और तीनों हँसते-हँसते लोट जाती हैं)
(परदा)
 

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रचनाएँ
प्रेम की वेदी (नाटक)
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प्रेम की वेदी प्रेमचंद का एक सामाजिक नाटक है। वैसे तो प्रेमचंद मूलतः उपन्यासकार, कहानीकार हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे हैं। प्रेमचंद स्वभावतः सामाजिक-चेतना के लेखक हैं। यही सामाजिक-चेतना उनकी रचनाओं में अलग-अलग रूप में चित्रित हुई है। प्रेम की वेदी १९२०-१९२५ के बीच लिखा गया नाटक है। भारतीय सामाजिक सन्दर्भ में, आधुनिक विचार-विमर्श और चेतना का प्रवेश शुरू होने लगा था। कुछ नकल अंग्रेजी मेम साहिबाओं का था, कुछ सामाजिक सुधार आन्दोलनों का और कुछ अंग्रेजी उच्च शिक्षा का। इस सभी के संयोग ने सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक संगठन, विवाह के स्वरूप और मर्यादाओं पर विचार-वितर्क आरम्भ किया। प्रेम की वेदी में हिन्दू विवाह पद्धति, उसके स्वरुप, उसमें स्त्री की स्थिति, पुरुष के मर्दवाद पर एक सपाट चर्चा है। जो एक निश्चित स्थिति को प्राप्त नहीं करता। विवाह जैसी संस्था पर समय-समय पर चर्चाएँ होती रही हैं और वह अपनी तमाम खामियों के बावजूद बना हुआ है। इस नाटक में जो दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष है, वह है अन्तर्जातीय विवाह में धार्मिक मर्यादा की रस्साकस्सी। चाहे वह हिन्हू हो, क्रिश्चन हो या मुसलमान एक बिंदु पर आ कर सभी इस धार्मिक-मर्यादा से निकलना चाहते हैं लेकिन निकल नहीं पाते। प्रेमचंद इस नाटक में ऐसी मर्यादा की सीमा को पार करते हैं, यह प्रेमचंद की प्रगतिशील चेतना की उपज का एक नमूना कहा जा सकता है।।
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प्रथम दृश्य

12 फरवरी 2022
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(एक बंगलानूमा मकान – सामने बरांडा है, जिसमें ईंटों के गोल खंबे हैं। बरांडे में दो-तीन मोढ़े बेदंगेपन के साथ रखे हुए है। बरामदे के पीछे तीन दरवाजों का एक कमरा है। कमरे में दोनों तरफ दो कोठरियाँ है। कमर

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दूसरा दृश्य

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(वही मकान, अन्दर का बावर्चीखाना। विलियम एक बेंत के मोढ़े पर बावर्चीखाने के द्वार पर बैठा हुआ है। मिसेज गार्डन पतीली में कुछ पका रहा है। विलियम बड़ा भीमकाय, गठीला, पक्के रंग का आदमी है, बड़ी मूंछे, चौड

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तीसरा दृश्य

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(वर्षा काल का एक प्रभात। बादल घिरे हुए हैं। एक शानदार बंगला। दरवाजों पर जाली लोट के परदे पड़े हुए हैं! उमा एक कमरे में पलंग पर पड़ी है। एक औरत उसके सिर में तेल डाल रही है। उमा का मुख पीला पड़ गया है।

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चौथा दृश्य

12 फरवरी 2022
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(जेनी का मकान, संध्या का समय। विलियम टेनिस सूट पहने, मूंछे मुँडाए, एक रैकेट हाथ में लिए, नशे में चूर आता है।) जेनी – आज तो तुमने नया रूप भरा है विलियम। यह किस गधे ने तुमसे कहा कि मूंछे मुँडा लो! बिल्

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पाँचवा दृश्य

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(योगराज का बंगला। प्रातःकाल। योगराज और जेनी एक कमरे में बैठे बातें कर रहे हैं। योगराज के मुख पर शोक का गाढ़ा रंग झलक रहा है! आँख सूजी हुई है, नाक का सिरा लाल, कंठ स्वर भारी। जेनी सफरी कपड़े पहने हुए ह

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छटा दृश्य

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(योगराज का बंगला। जेनी और योग बैठे बातें कर रहे हैं) जेनी – आयी थी दो दिन के लिए और रह गयी तीन महीने! माँ मुझे रोज कोसती होगी। मैंने कितनी ही बार लिखा कि यहीं आ जाओ, पर आती ही नहीं। मैं सोचती हूँ, दो

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सातवाँ दृश्य

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(जेनी का मकान। मिसेज गार्डन मुर्गियों को दाना चुगा रही है) विलियम – मिस गार्डन का कोई पत्र आया थी? मिसेज गार्डन – हाँ, वह खुद दो-एक दिन में आ रही है। विलियम – मैं तो उसकी ओर से निराश हो गया हूँ, मि

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आठवाँ दृश्य

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(जेनी का विशाल भवन। जेनी एक सायेदार वृक्ष के नीचे एक कुर्सी पर विचारमग्न बैठी है) जेनी – (स्वगत) मन को विद्वानों ने हमेशा चंचल कहा है। लेकिन मैं देखती हूँ कि इसके ज्यादा स्थिर वस्तु संसार में न होगी।

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