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दूसरा दृश्य

12 फरवरी 2022

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(वही मकान, अन्दर का बावर्चीखाना। विलियम एक बेंत के मोढ़े पर बावर्चीखाने के द्वार पर बैठा हुआ है। मिसेज गार्डन पतीली में कुछ पका रहा है। विलियम बड़ा भीमकाय, गठीला, पक्के रंग का आदमी है, बड़ी मूंछे, चौड़ी छाती, फौजी जवान-सा मालूम होता है।)
मिसेज गार्डन – तुमने कभी प्रोपोज भी नहीं किया, या यों ही समझ लिया, कि वह इंकार कर देगी?
विलियम – मेरी हिम्मत ही जवाब दे देती है। औरतों के सम्मुख मर्द इतना मूक होता जाता है, इसका अनुभव मुझे अब हुआ।
मिसेज गार्डन – कायर कहो। ऐसे कायर प्राणी कभी फलीभूत नहीं हो सकते। तुम ताकते ही रह जाओगे और कोई दूसरा आदमी आ कूदेगा।
विलियम – इसकी तो मुझे चिन्ता नहीं मिसेज गार्डन, उसका और अपना खून एक कर दूंगा। मैं चाहे जेनी को न पा सकूँ पर कोई दूसरा भी उसे मेरे जीते-जी नहीं पा सकता।
मिसेज गार्डन – फिर वही उजड्डपन की बात! अरे तो प्रोपोज क्यों नहीं करता भई?
विलियम – कैसे प्रोपोज करूँ, यही तो मुझे नहीं आता। कई किताबें देखीं, मगर कुछ साफ न खुला।
मिसेज गार्डन – उसे कभी पार्क-वार्क में ले जाओ और वहाँ एकान्त में प्रोपोज करो और मैं क्या बताऊँ?
विलियम – वह जब मेरे साथ कहीं जाय भी। मुझे देखते ही तो उसके चेहरे पर उदासी छा जाती है। चाहती है कि मैं उठकर चला जाऊँ। कभी खातिर से बैठाए, कुछ बातचीत करे, त तो मेरा दिल बढ़े।
मिसेज गार्डन – तो क्या तुम साल-भर से यों ही रास्ता नापने आते हो?
विलियम – मेरी पहुँच तो आप ही तक हैं।
मिसेज गार्डन – तो क्यो मुझसे शादी करेगा? कैसा युवक है! होशियार मर्द एक घंटे में औरत को रास कर लेता है, तुम्हें सालभर दौड़ते हो गया और अभी 'क' 'ख' की नौबत भी नहीं आई। कुछ तुम में बूता हो तो मैं भी जोर लगाऊँ। बछड़ा तो खूटे ही के बल पर कूदेगा। आखिर तुमने उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अब तक क्या-क्या कार्रवाई की?
विलियम – मैंने अंग्रेजी बोलने का अच्छा अभ्यास कर लिया है।
मिसेज गार्डन – खूब तो क्या आप अंग्रेजी में प्रोपोज करेंगे, या वह तुम्हारे अंग्रेजी भाषण का प्रवाह देखकर तुम्हारे ऊपर लट्ट हो जायगी?
विलियम – मैंने गाना भी सीख लिया है।
मिसेज गार्डन – यह तुमने बहुत अच्छा किया। वह गाने में कुशल है। सम्भव है रुचि की समानता आगे चलकर मैत्री का रूप धारण कर ले। प्यानो बजा लेते हो।
विलियम - जी हाँ, अच्छी तरह।
मिसेज गार्डन – अभी तो जेनी के आने में देर है। अपनी सहेली से मिलने गई है। चलो देखू तुम कैसी प्यानो बजा लेते हो?
मिसेज गार्डन – लाहौल-विला-कूवत! यही आपका गाना है! खुदा के लिए कहीं उसके सामने न बजाने लगना, नहीं उसे तुम्हारी सूरत से घृणा हो जाएगी।
विलियम – अभी तो सीख रहा हूँ मिसेज गार्डन, कुछ दिनों में देखिएगा!
मिसेज गार्डन – जाओ भी, चले हो गाना सीखने। अच्छा और क्या सीखा?
विलियम – टेनिस खेलने लगा हूँ।
मिसेज गार्डन – हाँ, इसकी बड़ी जरूरत थी। खूब अच्छी तरह खेल लेते हो?
विलियम – जी हाँ, कहिए तो दिखाऊँ?
मिसेज गार्डन – टेनिस भी तो प्यानो ही की तरह नहीं सीखा है?
विलियम – नहीं जी, खूब खेलता हूँ। अच्छे-अच्छों के छक्के छुड़ा दिये हैं।
मिसेज गार्डन – सच! अच्छा कमरे में चलकर दिखाओ तो जरा अपना खेल।
(दोनों कमरे में आते हैं। मिसेज गार्डन खूटी पर से दोनों रैकेट उतार लेती है। दोनों एक-एक रैकेट लेकर आमने-सामने खड़े हो जाते है। विलियम गेंद सर्व करता है। मिसेज गार्डन गेंद को उसकी ओर लौटाती है। वह गेंद की तरफ लपकता है और जोर से आकर लुढ़क जाता है। फिर सँभलकर खड़ा होता है)
मिसेज गार्डन – यही आपका खेल है! तुम इसमे भी फेल हो गए। खुदा के लिए कहीं जेनी के सामने न खेलना, नहीं मुफ्त में भद हो।
विलियम – मैं गिरा थोड़े ही थी। जोर सो दौड़ा तो जरा पाँव फिसल गया।
मिसेज गार्डन – अच्छा, टेनिस-सूट तो बनवा लिया है?
विलियम – यह तो मुझसे किसी ने बताया ही नहीं!
मिसेज गार्डन – शाबाश! तो यहाँ लांग बूट पहनकर टेनिस खेलते हो।
विलियम – बूट पहनकर खूब दौड़ते बनता है।
मिसेज गार्डन – वही हो और क्या। मैं पूछती हूँ, आखिर तुम किस दुनिया में रहते हो? पहले टेनिस सूट बनवाओ, तब टेनिस खेलो। यह नहीं कि यह लक्कड़तोड़ जूते और यह नीचा कोट पहनकर टेनिस खेलने लगे। तुम्हारी हँसी उड़ती होगी और क्या?
विलियम – मुझसे तो लेडी डगलस ने यही कहा कि फौजी आदमियों के लिए टेनिस सूट की जरूरत नहीं।
मिसेज गार्डन – अच्छा, अब आदमी बनना सीखो। यह जंगल-सी मूंछे साफ कराओ। वह जमाना दूसरा था, जब औरत मर्द की मूंछे देखकर खुश होती थी। मुझे ही ले लो। मुंड़ी हुई मूंछे मुझे एक आँख नहीं भाती; लेकिन अब जमाना बदल गया है। अब स्त्री चाहती है कि मर्द का चेहरा साफ हो। बालों का चिह्न तक न हो।
विलियम – तो कल ही लीजिए। इसमे कौन छप्पन टके का खर्च है।
मिसेज गार्डन – अच्छा कुछ नाचना-वाचना भी सीखा है? जेनी बहुत अच्छा नाचती है।
विलियम - जी हाँ, नाचना तो पहले ही से आता है।
मिसेज गार्डन – अच्छा जरा दिखाओ।
(विलियम वहीं बन्दरों की भाँति उचकने लगता है। नाचते समय अपने स्थूल शरीर को सँभालने में उसकी मुखाकृति विकृत हो जाती है कि मिसेज गार्डन हँसते-हँसते लोट जाती है)
मिसेज गार्डन – रहने भी दो। यह आपका नाच है, जैसे बनैला सुअर किलोल करे। भई यह बेल मुँढ़ चढ़ने की नहीं। अभी तुममें बड़ी-बड़ी त्रुटियाँ हैं। पहले इनको दूर करो! तब हिम्मत करके एक दिन प्रोपोज करो।
विलियम – त्रुटियाँ तो मैं पूरी कर लूँगा, लेकिन प्रोपोज करना टेढ़ी खीर है।
मिसेज गार्डन – मैं एक बात कहूँ - जरा-सी शराब पी लेना।
विलियम – ऐसा न हो, बहकने लगूं?
मिसेज गार्डन – अजी नहीं, थोड़ी-सी पीना और बढ़िया किस्म की, जिसमें मुँह से सुगंध आवे! और देखो, गँवारों की तरह बातचीत न किया करो। शिष्टाचार सीखो। पहनावा भी भले आदमियों-सा रखो। टाई और कॉलर रेशमी लो। कोट के बटन में एकाध गुलाब लगा लिया करो। यह मोटा-सोटा लेड़ियों के पसंद की चीज नहीं। हलकी-सी सोफियानी छड़ी लो। यह तुमने डिबिया-सी घड़ी और जंजीर लगा रखी है, इसे धता बताओ और सुनहरी घड़ी कलाई पर बाँधो। तुम्हारे घर में कितने नौकर है?
विलियम – नौकर! नौकरों की क्या जरूरत है? एक बूढ़ी दाई है, वह रोटी और गोश्त पका देती है – दोनों वक्त। सुबह को दो सेर दूध खुद दुहा लाता हूँ। कच्चा ही पी जाता हूँ। बुढ़िया बिस्तर डाल देती है। दफ्तर से आकर दो ढाई सौ सौ हाथ लेजिम के फेर लेता हूँ। खाना खाकर सो जाता हूँ।
मिसेज गार्डन – अगर तुम्हारी यह रहन-सहन है तो जेनी से हाथ धो रखो। वह मजदूर पति नहीं, जेंटिलमैन पति चाहती है।
विलियम – अब तो मुझे किसी ने कुछ बताया ही नहीं। अब आपने सलाह दी है, देखिए कितनी जल्द जेंटिलमैन बन जाता हूँ.
मिसेज गार्डन – कुछ न हो तो एक बेयरा, एक खानसामाँ, और एक अर्दली तो होना ही चाहिए। बावरची अलग। एक मेहतर, एक धोबी और एक बागवान भी रख लो। और कैसे मालूम होगा कि तुम साहब हो। अभी मोटर न हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन दो साल में उसका प्रबन्ध भी करना पड़ेगा। घर में कुछ तस्वीरें
विलियम – जी हाँ, अखबारों में जो अच्छी तस्वीर नजर आ जाती है। प्रेम करा लेता हूँ।
मिसेज गार्डन – शाबाश? तब तो तुम आर्ट के बड़े रसिक हो। अच्छा कभी सिनेमा देखने जाते हो?
विलियम – वहाँ जाकर नींद कौन खराब करे मिसेज गार्डन? मुझे तो उसमे कुछ मजा नहीं आता।
मिसेज गार्डन – तो तुम निरे गँवार हो। खाना, काम करना और सोना जानते हो। सभ्यता तो तुम्हें छू नहीं गई... ।
(जेनी की आहट मिलती है। विलियम पिछवाड़े के द्वार से बदहवास भागता है!)
जेनी – आज उमा और उसका पति विदा हो गये मामा! उमा बहुत रोती थी। मेरे गले लिपटकर रोने लगी। मुझे भी रोना आ गया। अब बेचारी न जाने कब आएगी!
मिसेज गार्डन – इन लोगों में विदाई के समय रोने का बुरा रिवाज है।
जेनी – क्या जाने मामा! मुझे तो खुद रोना आ गया। मैं तो तुम्हारे पास से जाने लगूं, तो मुझ जरूर रोना आये। योगराज एक सिनेमा कम्पनी का डायरेक्टर है मामा! पंद्रह सौ वेतन पाता है।
मिसेज गार्डन – अच्छा! मगर अभी उम्र तो कुछ नहीं है। अपनीअपनी तकदीर है।
जेनी – अमेरिका और इग्लैंड हो आये हैं मामा! अमेरिका में एक कम्पनी के डायरेक्टर रहे। कितनी ही युवतियाँ वहाँ उनसे शादी करने पर तुली हुई थीं। कितनी ही तो लाखों की सम्पति उन्हें दे रही थीं, लेकिन उनकी मँगनी पहले ही उमा से हो गई थी। सबको सूखा जवाब दिया। वहाँ होते तो अब तक उन्हें चार-पाँच हजार मिलते होते। इन फन में उन्हें कमाल है। उमा है बड़ी नसीबों वाली। मुझे उन्होंने अपनी कम्पनी मे बुलाया है। पहले एक हजार देंगे।
मिसेज गार्डन – (बेटी को गले लगाकर) सच!
जेनी – हाँ मामा! वह तो मुझे अपने साथ ले चलने पर जोर दे रहे थे। मैंने कहा, अभी मुझे कुछ तैयारी करने है। मुझे पाँच सौ का चैक तैयारियों के लिए दे गए।
मिसेज गार्डन – खुदा का लाख-लाख शुक्र है कि उसने आड़े वक्त में हमारी मदद की। बड़ी शरीफ आदमी मालूम होता है।
जेनी – (कुछ शरमाते हुए) अगर उमा मेरी सहेली न होती और मुझसे इतना प्रेम न करती होती, तो एक बार मैं अपने भाग्य की परीक्षा करती।
मिसेज गार्डन – क्या कहती है जेनी! विवाहित पुरुष के साथ?
जेनी – शादी-विवाह बच्चों का खेल है, मामा! यह केवल स्त्री और पुरुष के मन का समझौता है। इसमें धर्म को घसीटना मूर्खता है। मैं रूप-रंग में उमा जैसी नहीं! लेकिन उन्हें मैं जितना आकर्षित करती हूँ, उमा नहीं कर सकती। काश विवाह के पहले इनसे मेरा परिचय हो गया होता! मेरा गाना सुनकर मस्त हो गए। और तुमसे क्या कहूँ? खेद यही है, कि उमा के पति हैं और उमा इतनी निष्कपट और सरल है कि मुझे उस पर दया आती है। वह तो चाहती है कि उन्हें किसी औरत की हवा भी न लगे।
मिसेज गार्डन – (चिंता-भाव से) अब तेरे मन की यह दशा है जेनी, तो मैं तेरा उस कम्पनी में जाना उचित नहीं समझती।
जेनी – तुम भी मामा, मुझे छोकरी समझती हो। मैं योगराज को दिल से चाहती हूँ, लेकिन क्या मजाल कि मेरे मुँह से एक शब्द भी निकले, या इशारों से भी इसका आभास मिले। मैं न इतनी कृतघ्न हूँ औ न इतनी मदमाती।
मिसेज गार्डन – खुदा तेरे इरादों को पाक रखे बेटी! यही सज्जनों का धन है। खुदा ने चाहा, तो तुझे इससे अच्छा आदमी मिल जाएगा। चलो खाना तैयार है।
(दोनों खाना खाने जाती है)

(पटाक्षेप) 

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रचनाएँ
प्रेम की वेदी (नाटक)
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प्रेम की वेदी प्रेमचंद का एक सामाजिक नाटक है। वैसे तो प्रेमचंद मूलतः उपन्यासकार, कहानीकार हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नाटक भी लिखे हैं। प्रेमचंद स्वभावतः सामाजिक-चेतना के लेखक हैं। यही सामाजिक-चेतना उनकी रचनाओं में अलग-अलग रूप में चित्रित हुई है। प्रेम की वेदी १९२०-१९२५ के बीच लिखा गया नाटक है। भारतीय सामाजिक सन्दर्भ में, आधुनिक विचार-विमर्श और चेतना का प्रवेश शुरू होने लगा था। कुछ नकल अंग्रेजी मेम साहिबाओं का था, कुछ सामाजिक सुधार आन्दोलनों का और कुछ अंग्रेजी उच्च शिक्षा का। इस सभी के संयोग ने सामाजिक व्यवस्था, धार्मिक संगठन, विवाह के स्वरूप और मर्यादाओं पर विचार-वितर्क आरम्भ किया। प्रेम की वेदी में हिन्दू विवाह पद्धति, उसके स्वरुप, उसमें स्त्री की स्थिति, पुरुष के मर्दवाद पर एक सपाट चर्चा है। जो एक निश्चित स्थिति को प्राप्त नहीं करता। विवाह जैसी संस्था पर समय-समय पर चर्चाएँ होती रही हैं और वह अपनी तमाम खामियों के बावजूद बना हुआ है। इस नाटक में जो दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष है, वह है अन्तर्जातीय विवाह में धार्मिक मर्यादा की रस्साकस्सी। चाहे वह हिन्हू हो, क्रिश्चन हो या मुसलमान एक बिंदु पर आ कर सभी इस धार्मिक-मर्यादा से निकलना चाहते हैं लेकिन निकल नहीं पाते। प्रेमचंद इस नाटक में ऐसी मर्यादा की सीमा को पार करते हैं, यह प्रेमचंद की प्रगतिशील चेतना की उपज का एक नमूना कहा जा सकता है।।
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प्रथम दृश्य

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(एक बंगलानूमा मकान – सामने बरांडा है, जिसमें ईंटों के गोल खंबे हैं। बरांडे में दो-तीन मोढ़े बेदंगेपन के साथ रखे हुए है। बरामदे के पीछे तीन दरवाजों का एक कमरा है। कमरे में दोनों तरफ दो कोठरियाँ है। कमर

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दूसरा दृश्य

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(वही मकान, अन्दर का बावर्चीखाना। विलियम एक बेंत के मोढ़े पर बावर्चीखाने के द्वार पर बैठा हुआ है। मिसेज गार्डन पतीली में कुछ पका रहा है। विलियम बड़ा भीमकाय, गठीला, पक्के रंग का आदमी है, बड़ी मूंछे, चौड

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तीसरा दृश्य

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(वर्षा काल का एक प्रभात। बादल घिरे हुए हैं। एक शानदार बंगला। दरवाजों पर जाली लोट के परदे पड़े हुए हैं! उमा एक कमरे में पलंग पर पड़ी है। एक औरत उसके सिर में तेल डाल रही है। उमा का मुख पीला पड़ गया है।

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चौथा दृश्य

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(जेनी का मकान, संध्या का समय। विलियम टेनिस सूट पहने, मूंछे मुँडाए, एक रैकेट हाथ में लिए, नशे में चूर आता है।) जेनी – आज तो तुमने नया रूप भरा है विलियम। यह किस गधे ने तुमसे कहा कि मूंछे मुँडा लो! बिल्

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पाँचवा दृश्य

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(योगराज का बंगला। प्रातःकाल। योगराज और जेनी एक कमरे में बैठे बातें कर रहे हैं। योगराज के मुख पर शोक का गाढ़ा रंग झलक रहा है! आँख सूजी हुई है, नाक का सिरा लाल, कंठ स्वर भारी। जेनी सफरी कपड़े पहने हुए ह

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छटा दृश्य

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(योगराज का बंगला। जेनी और योग बैठे बातें कर रहे हैं) जेनी – आयी थी दो दिन के लिए और रह गयी तीन महीने! माँ मुझे रोज कोसती होगी। मैंने कितनी ही बार लिखा कि यहीं आ जाओ, पर आती ही नहीं। मैं सोचती हूँ, दो

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सातवाँ दृश्य

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(जेनी का मकान। मिसेज गार्डन मुर्गियों को दाना चुगा रही है) विलियम – मिस गार्डन का कोई पत्र आया थी? मिसेज गार्डन – हाँ, वह खुद दो-एक दिन में आ रही है। विलियम – मैं तो उसकी ओर से निराश हो गया हूँ, मि

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आठवाँ दृश्य

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(जेनी का विशाल भवन। जेनी एक सायेदार वृक्ष के नीचे एक कुर्सी पर विचारमग्न बैठी है) जेनी – (स्वगत) मन को विद्वानों ने हमेशा चंचल कहा है। लेकिन मैं देखती हूँ कि इसके ज्यादा स्थिर वस्तु संसार में न होगी।

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