"चौपई"
भारी भीड़ लगी है मोल, रख अपना दरवाजा खोल
छूट न जाए कोई होल, न कोई रगर न मोलतोल।।-1
पैसा झोला अपने पास, उलट पलट कर खेल ो तास
कौन पराया कौ है खास, अपनी रोटी अपनी घास।।-2
अपना दीपक अपना राम, साफ सफाई अपना काम
आओ लक्ष्मी मेरे धाम, सह सह विष्णु विराजो वाम।।-3
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी