“ गीतिका ”
सामंत- अर, पदांत- हो गया मापनी- 2122 2122 212
दिल हमारा आज शौहर हो गया
हर शहर को तुरत खबर हो गया
चौथ का पुजा हुआ जब रात में
चाँद का दर्शन ही जौहर हो गया॥
निकला हुआ जो आसमां में देर से
पूजन हुआ तो अर्श असर हो गया॥
मिल गया बरदान मीठी खीर का
चाँदनी की महर नजर हो गया॥
शुभ शुभा के शब्द शहर छा गए
मौसम सुहाना पर्व पहर हो गया॥
गौतम चखें प्रसाद पूजा पाठ के
आरती का सर्वस अमर हो गया॥
देख रे मन साधना की चाहना
सोच साया किसपर लहर हो गया॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी