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चिन्तन

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*इस संसार में ईश्वर ने नर नारी को उत्पन्न करके सृष्टि को गतिशील किया | सनातन धर्म के अनुसार मानव जीवन को चार आश्रमों में विभक्त किया गया है जिसमें से मुख्य है "गृहस्थ आश्रम" | गृहस्थ आश्रम से ही सारे संसार का पालन पोषण होता है | शायद इसीलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है :- "धन्यो गृहस्थाश्रम:" | गृ

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*इस सकल सृष्टि में समय निरंतर गतिशील है , समय का चक्र कभी नहीं रुकता है | हमारे विद्वानों ने समय को तीन भागों में विभाजित किया है | जो बीत गया वह "भूतकाल" , जो चल रहा है वह "वर्तमान काल" एवं जो आने वाला है उसे भविष्य काल कहा गया है | मनुष्य को सदैव अपने वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए | प्रायः कुछ लोग

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*इस सृष्टि में ईश्वर ने अन्य जीवों की अपेक्षा मनुष्य को विवेकवान बनाकर भेजा है ! मनुष्य अपने बुद्धि विवेक से इस संसार में कुछ भी कर सकता है ! यह भी सत्य है कि मनुष्य के विचार ही उसके जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं | मनुष्य के हृदय में सुविचार प्रकट होगा या दुर्विचार यह उसके परिवेश एवं संस्कारों पर

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*सनातन धर्म मैं चार प्रकार के पुरुषार्थ बताए गये हैं :- धर्म , अर्थ , काम एवं मोक्ष | जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना होता है | गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानस में लिखा है :- "साधन धाम मोक्ष कर द्वारा ! पाइ न जेहि परलोक संवारा !! अर्थात चौरासी लाख योनियों में मानव योनि ही श्रेष्ठ है जिसे साधना

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻 *यह संसार जितना विचित्र है उतने विचित्र यहाँ के प्राणी हैं फिर इन प्राणियों सर्वश्रेष्ठ मनुष्य की विचित्रता की तो थाह ही नहीं लगायी जा सकती है | यहाँ लोग एक दूसरे प

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻 *मानव जीवन में अपने जीवन को उच्चता प्राप्त कराने के लिए मनुष्य की मानसिकता एवं भावना भी उच्चकोटि की होनी परम आवश्यक है ! क्योंकि मनुष्य की मानसिकता ही जीवन की दिशा

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए क्या करना चाहिए क्या नहीं ? यह सारा वर्णन सनातन धर्म के सत्साहित्यों में पढ़ने को मिलता है | जीवन के प्रत्येक अंग - उपांगों एवं कृत्यों का

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन में मनुष्य कुछ अच्छे कर्म करके उच्च पद पर पहुँचता है ! उच्च पद पर पहुँच जाना तो आसान है परंतु उस पर बने रहना कठिन है | कुछ लोग जब यह देखते हैं कि उनके अनेक अनुयायी

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *समाज में एक सूक्ति प्रसिद्ध है "विनाशकाले विपरीत बुद्धि:" यह अकाट्य तथा सार्वभौमिक सत्य है | मनुष्य जिसका सहारा लेकर किसी प्रतिष्ठित स्थान पर स्थापित हो जाता जब उसी की निन्दा

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *तीव्र आँधी आने पर वही वृक्ष टूटकर गिरते हैं जो झुकना नहीं जानते , जो वृक्ष विपरीत समय जानकर हवा की रुख की ओर झुक जाते हैं उनकी क्षति नहीं होती है | ठीक उसी प्रकार जो मनुष्य व

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मनुष्य की पहचान उसके आचरण से होती है ! आचरण का पाठ सर्वप्रथम बालक को माता के द्वारा सिखाया जाता है फिर विद्यालय में गुरु के द्वारा वह आचरण का पाठ सीखता है | मानव समाज को उनके

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन बड़ा ही विचित्र है ! जब मनुष्य स्वयं कोई गल्ती करता है तो उसे वह अपनी गल्ती मानता और जब उसकी गलत क्रिया पर किसी के द्वारा यथोचित प्रतिक्रिया होती है तो वह बौखलाकर अ

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*सनातन धर्म में मंत्रों का बड़ा महत्व है , प्रत्येक कार्य के लिए अलग-अलग मंत्रों का विवरण हमारे धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है | वैदिक मंत्र , पौराणिक मंत्र , तांत्रिक मंत्र , शाबर मंत्र आदि अनेक प्रकार के मंत्र सृष्टि में मानव जाति का सहयोग करते हैं | किसी मंत्र का प्रयोग करने के पहले उसके विषय

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन बहुत ही संघर्षमय कहा गया है | यहां प्रत्येक मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है | लक्ष्य को प्राप्त करने में अनेकों बार ऐसा भी समय आता

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन स्वयं में एक परीक्षा है | मनुष्य जीवन भर परीक्षा देता रहता है परंतु सफल वही होता है जिसने परीक्षा की तैयारी पूर्ण कर रखी होती है | प्रायः लोग बिना पढ़ाई किये ही पर

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *आदिकाल से ही मनुष्य सतत् विकासशील रहा है नित्य नये आविष्कार करके समस्त मानव जाति को उसका लाभ आविष्कारकों ने दिया | इसी क्रम में दर्पण (शीशा) का आविष्कार हुआ जिसमें मनुष्य स्व

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *भारत कृषि प्रधान देश है , कृषिकार्य के लिए जल की आवश्यकता होती है | जल भी उचित समय पर मिलना चाहिए | खेती सूख जाने के बाद जल का न तो कोई मबत्व रह जाता है और न ही आवश्यकता | ठी

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मानव जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है मनुष्य की वाणी एवं व्यवहार | प्राय: मनुष्य अपने शत्रु एवं मित्रों की गिनती किया करता है | शत्रु एवं मित्र का निर्धारण या प्राकट़्य मनुष्य के

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *प्रत्येक मनुष्य अपने लिए सदैव सबकुछ अच्छा ही सोंचता है , अच्छा ही करता है और अच्छा ही चाहता है परंतु सबकुछ अपने सोंचने एवं चाहने से नहीं होता है | हम सदैव किसी भी प्रतियोगिता

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यहाँ एक दूसरे का सहयोग लेकर ही जीवन यापन होता है ! कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कि बहुत दूर के होते हुए भी अपवे सगे से भी अधिक प्रिय हो जाते हैं | म

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