डायरी दिनांक २१/०४/२०२२
शाम के छह बजकर चालीस मिनट हो रहे हैं ।
जीवन के हर मोड़ पर कितनी ही कहानियाँ मिलती हैं। पर उन सभी कहानियों को शव्दों में उतार पाना बहुत आसान नहीं है।
पौराणिक पृष्ठभूमि पर दो तरह का साहित्य लिखा गया है। एक वह साहित्य जिसमें पौराणिक पात्रों को आदर्श के रूप में स्थापित किया गया। कुछ ऐसी बातें जिनपर मतिभ्रम की स्थिति बनती है, उन्हें अधिक सरल तरीके से परिभाषित किया गया। दूसरा वह साहित्य जो बिलकुल उल्टी तरह से लिखा गया। कह सकते हैं कि जनमानस की भावनाओं से खेलकर लिखा साहित्य।
आज सबसे बड़ा प्रश्न है कि हम जिन बातों को ऐतिहासिक सत्य समझते आये हैं, उनमें से कितनी बातें सत्य हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि बहुत सारा इतिहास ही सत्य से परे हो।
जब आर्य संस्कृति की बात आती है, उस समय आर्यों को वाह्य आक्रमणकारी बताया जाता है। जबकि कोई भी लिखित साक्ष्य आर्यों को बाहरी सिद्ध नहीं करता। विभिन्न डीएनए जैसी साम्यता का कारण यह भी संभव है कि आर्य ही भारत से बाहर गये हों। फिर आर्य और द्रविड़ के रूप में प्राचीन भारतीय संस्कृति को विभेद करने का कोई व्यावहारिक आधार समझ में नहीं आता। वैसे भी विभिन्न धर्म ग्रंथों में दक्षिण भारत के महर्षियों के रूप में महर्षि अगस्त और महर्षि मतंग का नाम लिया जाता है। समूचे प्राचीन भारत में लगभग एक जैसे संस्कारों का ही वर्णन है। यदि आदिवासी समाज की बात कही जाये तो आज भी बहुत से आदिवासी समाज की मुख्य धारा से अलग हैं।
कभी पृथ्वी पर वेनु नामक अत्याचारी राजा का शासन था। एक बार सप्तर्षियों ने वेनु को समझाने का प्रयास किया। पर वेनु न माना। तब सप्तर्षियों ने क्रोध से वेनु का संहार कर दिया।
किसी भी राज्य के लिये सबसे खराब स्थिति होती है जबकि उसका कोई भी राजा न हो। राजा बुरा होने पर भी राज्य की अराजकता को रोकता है।
फिर सप्तर्षियों ने वेनु के शरीर का मंथन किया। जिससे पृथु का जन्म हुआ। महाराज पृथु ने न केवल पृथ्वी को सात महाद्वीपों में विभक्त किया। अपितु भूगर्भ रत्नों को बाहर निकालने की विधि भी इजाद की। खेती की व्यवस्था महाराज पृथु ने ही आरंभ की थी। तथा हिमालय पर्वत के क्षेत्र में विभिन्न औषधियों, रत्नों और वनस्पतियों की उन्होंने ही खोज की थी।
एक बहन ने सप्तर्षियों के विषय में जानने की इच्छा व्यक्त की थी। कल की डायरी में सप्तर्षियों के विषय में जानकारी देने का प्रयास करूंगा।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।