डायरी दिनांक २४/०४/२०२२
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वर्तमान मकान में कुछ समस्याएं हैं। पर उससे भी बड़ी समस्या मकान मालिक के परिजनों का आपसी मतभेद है। मकान अंटी जी का है। पर बेटा जी मकान पर कब्जा किये हुए हैं। बीमार माॅ की सेवा से उन्हें कोई मतलब नहीं है। बुजुर्ग अंटी जी बेटियों के पास रह अपना इलाज करा रही हैं। सुना है कि अंटी जी ने जायदाद में बेटियों को भी हिस्सा दिया है। जब बेटियां माॅ की सेवा करेंगीं तो जायदाद उन्हें भी दी जानी चाहिये।
काफी समय से नवीन घर तलाश रहा था। कितनों से नवीन मकान दिलबाने के लिये कह रखा था। आज भी मम्मी को एक मकान दिखाने ले जा रहा था। हालांकि उस मकान से मैं खुद पूरी तरह संतुष्ट नहीं था पर इस घर से निकलना आवश्यक लग रहा था। पर ईश्वर की कृपा से ज्ञात हुआ कि हमारे आफिस के ठीक सामने की गली में एक मकान खाली है। वह मकान मुझे और मम्मी दोनों को जच गया। मई के महीने में उस मकान में शिफ्ट कर लेंगें।
आज हिंदी के राष्ट्रीय कवि के नाम से विख्यात श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' जी की पुण्य तिथि है। दिनकर जी ने भारतीय संस्कृति से संबंधित बहुत सारे काव्य लिखे हैं। उर्वशी महाकाव्य में दिनकर जी ने पुरुरवा और उर्वशी की प्रेम कहानी के साथ साथ उर्वशी के अंतर्द्वंद्व का चित्रण किया है। रश्मिरथी खंडकाव्य में उन्होंने कर्ण के माध्यम से सामाजिक भेदभाव और जाति व्यवस्था के चित्रण के साथ साथ उन परिस्थितियों का भी उल्लेख किया है जबकि एक सही व्यक्ति को गलत मार्ग चुनना पड़ता है।
वैसे दिनकर जी के साहित्य के विषय में जितना कहा जाये, कम ही है। उनकी हर कविता मन को छूती है। उनके द्वारा लिखी बाल कविता चाॅद का कुर्ता हर आयु के लोगों को लुभाती है।
चाॅद की पृष्ठभूमि पर श्री दिनकर जी का लिखा प्रेरक काव्य ' रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाॅद' मुझे बहुत पसंद है।
इतिहास, पुराण और वर्तमान के माध्यम से राष्ट्रीय समस्याओं को उजागर करने बाले श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' जी वास्तविक अर्थों में राष्ट्रीय कवि हैं। जिस तरह से राष्ट्र निर्माण में हिंदी साहित्य के माध्यम से दिनकर जी ने अपना योगदान दिया, अन्य रचनाकारों को भी वही भूमिका निभानी होगी। वैसे भी साहित्य का मुख्य उद्देश्य समाज को राह दिखाना ही होता है। सूरदास जी और केशवदास जी के अति उत्कृष्ट साहित्य की अपेक्षा समाज को ध्यान में रखकर लिखे तुलसीदास जी का साहित्य जनमानस के अधिक निकट है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।