डायरी दिनांक १३/०४/२०२२
शाम के छह बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।
आज अचानक ज्ञात हुआ कि कल और परसों लगातार दो दिनों का अवकाश है। दूरसंचार क्षेत्र में कार्य करने बालों के लिये दो दिनों का अवकाश मिलना बहुत कठिन है। दूसरे अन्य विभागों में तो दो दिन के अवकाश के बाद एक दिन का आकस्मिक अवकाश आवेदन कर पूरे चार दिनों की छुट्टी मनाने के प्रोग्राम चल रहे हैं। पर हमारे यहाँ कह नहीं सकते कि कल अवकाश का दिन भी बहुत व्यस्तता भरा बन जाये।
इस वर्ष दैनिक प्रयोग की वस्तुएं कुछ ज्यादा ही महंगी हैं। खासकर सब्जियों के मामले में मंहगाई रिकार्ड तोड़ रही है। सबसे सस्ती सब्जियों में समझी जाती तोरई का दर अस्सी रुपये किलो है। पंद्रह से बीस रुपये किलो में बिकने बाले खरबूजे का मूल्य साठ रुपये किलो है। इस हिसाब से अंगूर अपेक्षाकृत सस्ते मिल रहे हैं।
आज न हवा शुद्ध है, न जल शुद्ध है, न अन्न शुद्ध है। मनुष्यों में मनुष्यता ढूंढने से भी बहुत कम मिलती है। स्थिति तो ऐसी है कि कोई भी बिना किसी स्वार्थ के किसी के साथ खड़ा भी नहीं होता। कभी कभी तो मनुष्य जिसे निस्वार्थ प्रेमी समझता है, वह अपने सहयोग का इतना मूल्य ले लेता है कि उसे विचार कर ही चक्कर आने लगें।
श्री राम चरित मानस में वर्णित अगले महर्षि लोमश हैं। महर्षि लोमश का वर्णन श्री राम चरित मानस के उत्तर कांड में आया है। उल्लेख है कि उन्होंने कागभुशुंड जी को निर्गुण ब्रह्म का ज्ञान देने का प्रयास किया। पर कागभुशुंड जी बार बार श्री राम चरित पूछते रहे। इससे क्रोधित हो महर्षि लोमश ने कागभुशुंड जी को कौआ हो जाने का श्राप दिया। फिर जब महर्षि लोमश का क्रोध शांत हुआ तब उन्होंने ही कागभुशुंड जी को श्री राम कथा सुनाई। तथा महर्षि लोमश के आशीर्वाद से ही कागभुशुंड जी चिरंजीवी बने हैं।
महर्षि लोमश के विषय में अन्य तथ्य - महर्षि लोमश चिरंजीवी माने जाते हैं। उनके सीने पर बहुत सारे बाल हैं। इस कारण ही वह महर्षि लोमश कहे जाते हैं। वह किसी भी वस्तु का संग्रह नहीं करते। धूप और बारिश से खुद की रक्षा करने के लिये एक चटाई अपने साथ रखते हैं। हर मन्वंतर में महर्षि लोमश के सीने से एक बाल टूट जाता है। इसे दूसरे शव्दों में कह सकते हैं कि एक इंद्र के बदलने पर उनके सीने से एक बाल गिर जाता है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।