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डायरी दिनांक १०/०४/२०२२

10 अप्रैल 2022

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डायरी दिनांक १०/०४/२०२२

  दोपहर के तीन बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।

  आज नव रात्रि का आखरी दिन होने के साथ भगवान श्री राम का प्रादुर्भाव दिवस भी है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर के समय ही भगवान श्री राम अवतरित हुए थे।

नौमी तिथि मधुमास पुनीता।
शुक्ल पक्ष अभिजित हरिप्रीता।।

  आप सभी को श्री राम नवमी की बहुत बधाईयाँ ।

  आज सुबह का समय जरा व्यस्तता भरा रहा । सुबह कन्या पूजन का विधान है। पहले कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन कराते थे। अब समय के साथ कुछ बदलाव किया है। अब आस पास कन्याओं के घर ही भोजन पहुंचा देता हूँ। इस काम में भी अब समय लगता है।

  आजकल एक नवीन चलन और बढ रहा है। किसी के घर कन्या पूजन के लिये आयीं तो आस पास के लोग उन्हें अपने घर ले जाते हैं। वास्तव में यह कन्या पूजन का उचित तरीका नहीं है। इसके लिये उन्हें पहले से निमंत्रण देने क् विधान है। छोटे बच्चे बहुत लोगों के घर भोजन कर लेते हैं। इससे उनकी तबीयत भी खराब हो जाती है।

  श्री राम चरित मानस में वर्णित नवें महर्षि बाल्मीकि हैं। अयोध्या कांड में वर्णन है कि भगवान श्री राम महर्षि भरद्वाज के आश्रम से चलकर फिर यमुना नदी के तट तक आये। यमुना नदी में स्नान कर फिर भगवान श्री राम महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में पहुंचे। वहां दोनों के मध्य अति उच्च स्थिति का वार्तालाप हुआ। कैसे लोगों के मन में भगवान निवास करते हैं, वह विस्तार से महर्षि बाल्मीकि ने बताया।

महर्षि बाल्मीकि के विषय में अन्य तथ्य -

आरंभ में बाल्मीकि एक डाकू थे। जिन्हें देवर्षि नारद के प्रयासों से सद्बुद्धि मिली। फिर वह मरा नाम का उच्चारण करते रहे। उनके शरीर पर दीमकों ने अपना घर बना लिया। इसलिये वह बाल्मीकि नाम से प्रसिद्ध हुए। प्रचेता द्वारा उन्हें अपना पुत्र स्वीकार किये जाने के कारण प्राचेतस कहलाये।

  एक बार एक निषाद ने उनके सामने ही क्रोंच पक्षियों के जोड़े में से एक का वध कर दिया। इससे महर्षि बहुत दुखी हुए। उन्होंने निषाद को श्राप दिया। जो कि संस्कृत साहित्य का पहला काव्य छंद अनुष्टप बना।

  फिर भगवान ब्रह्मा की आज्ञा से महर्षि बाल्मीकि ने भगवान श्री राम की कथा काव्य के रूप में लिखी और वह आदि कवि कहलाये।

  परित्याग के बाद माता सीता महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में रहीं थीं और वहीं कुश और लव का जन्म हुआ। महर्षि बाल्मीकि ने ही कुश और लव को शस्त्र और शास्त्रों की शिक्षा दी थी।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम। 

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