डायरी दिनांक १५/०४/२०२२
शाम के चार बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
आज गुड फ्राईडे का अवकाश था। पर मुझे अदालत जाना था। दिन में जरूरत से ज्यादा गर्मी थी। ऐसी गर्मी में बोतल में पानी बहुत जल्दी खत्म हो जाता है।
अलीगंज में एक विभागीय अधिकारी के घर बरसी की दावत थी। वैसे मेरे जाने का विचार था। पर अब नहीं जाऊंगा। कल जिन लोगों के साथ अलीगंज जाने का प्रोग्राम तय किया था, उन्होंने भी अभी तक कोई फोन नहीं किया है। बड़ा गड़बड़ झोल है।
जब किसी प्रश्न का उत्तर देने से विवाद बढ़ने की संभावना हो, उस समय उस प्रश्न को नजरअंदाज कर देना ही उचित है। अधिक से अधिक सामने बाला यही तो कहेगा कि मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं देते हो। व्यर्थ का विवाद तो बच जायेगा।
कभी कभी कुछ लोग विवाद करने के लिये ही व्यर्थ के प्रश्न करते हैं। उन्हें हर हाल में विवाद करना ही है। ऐसी स्थिति में विवाद से बचा नहीं जा सकता है।
आज ज्ञात हुआ कि तीस दिनों तक किसी धारावाहिक का अगला भाग प्रकाशित न करने पर वह धारावाहिक अपने आप सब्सक्रिप्शन प्रोग्राम से बाहर आ जाता है।
आज श्रीराम चरित मानस के वर्णित उन महर्षियों का उल्लेख करूंगा जिनका किसी प्रसंग में उल्लेख आया हो। पर किसी भी मूल कथानक में उनका कोई वर्णन न हो।
(१) महर्षि कश्यप - श्री राम चरित मानस में महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के तप का उल्लेख किया है।
कश्यप अदिति महातप कीन्हा।
तिनकहुं मैं पूरव वर दीन्हा।।
महर्षि कश्यप पूरी सृष्टि के पिता कहे जाते हैं। समस्त देव, दानव, मनुष्य, सर्प तथा अन्य तिर्यक योनियां उनकी ही संतान कही जाती हैं।
(२) महर्षि दुर्वासा - श्री राम चरित मानस के अयोध्या कांड में महर्षि दुर्वासा और महाराज अंबरीश के प्रसंग का उल्लेख है।महर्षि दुर्वासा महर्षि अत्रि के पुत्र थे।
(३)महर्षि कर्दभ - श्री राम चरित मानस के बाल कांड में राजा मनु और शतरूपा के तप का उल्लेख करते समय उनकी पुत्री देवहूति के बारे में बताया है। जो कि महर्षि कर्दभ की प्रिय स्त्री थीं।
(४) महर्षि कपिल - इसी प्रसंग में आगे बताया है कि महर्षि कर्दभ और देवहूति के पुत्र महर्षि कपिल थे। महर्षि कपिल ने सांख्य शास्त्र की रचना की।
(५)महर्षि पुलस्त - श्री राम चरित मानस में कई बार महर्षि पुलस्त का वर्णन किया है। उल्लेखनीय है कि रावण महर्षि पुलस्त का नाती था।
(६) महर्षि चंद्रमा - श्री राम चरित मानस के किष्किंधा कांड में महर्षि चंद्रमा का उल्लेख है जबकि सागर के तट पर संपाति ने महर्षि चंद्रमा के विषय में बताया।
मुनि एक नाम चंद्रमा ओही।
लागी दया देखि कर मोही।।
महर्षि चंद्रमा भी महर्षि अत्रि के पुत्र थे तथा वह भगवान ब्रह्मा के अंश कहे जाते हैं।
(७) महर्षि मतंग - श्री राम चरित मानस के अरण्य कांड में महर्षि मतंग का उल्लेख है। महर्षि मतंग माता शवरी के गुरु थे। उन्होंने ही माता शवरी को भगवान श्री राम के आगमन की भविष्यवाणी की थी। महर्षि मतंग के वचनों को ही सत्य मान माता शवरी प्रभु श्री राम के आगमन की प्रतीक्षा कर रही थीं।
(८) अंधा तपस्वी - श्री राम चरित मानस के अयोध्या कांड में ही अंधे तपस्वी (श्रवण कुमार के पिता) का उल्लेख है। महाराज दशरथ को मृत्यु से पूर्व अंधे तपस्वी के श्राप का स्मरण हुआ।
तापस अंध श्राप सुधि आयी।
कोशल्यहिं सब कथा सुनाई।।
भयउ विकल बरनत इतिहास।
राम रहित धिग जीवन आशा।।
इनके अतिरिक्त एक बेनामी तपस्वी का भी वर्णन है। जिसे मैं अगले भाग में बताऊंगा।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।