“देशज गीत”
जिनगी में आइके दुलार कइले बाट
गज़ब राग गाइके सुमार कइले बाट
नीक लागे हमरा के अजबे ई छाँव बा
कस बगिया खिलाइ के बहार कइले बाट॥......जिनगी में आइके दुलार कइले बाट
फुलाइल विरान वन चम्पा चमेली
कान-फूंसी करतानी सखिया सहेली
मनवा डेरात मोरा पतझड़ पहारू
रात-दिन सावन जस फुहार कइले बाट॥.....जिनगी में आइके दुलार कइले बाट
देख न उड़ी के हेरा जइह भौंरा
छोड़ि के दुवार घर आ गइली चौरा
प्रेम विश्वास कइली नाहीं घर पलानी
वाण मोहिनी चलाइके बीमार कइले बाट॥.....जिनगी में आइके दुलार कइले बाट
हाथ पकड़ि के लगाव पिया मेंहदी
कबहूं पराइ के न होइह बेदर्दी
गरवा लगाइ ल जुड़ाइ जा सम्हारू
अधखिले बसंत में विहार कइले बाट॥.....जिनगी में आइके दुलार कइले बाट
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी