धान की फसल को आप लोग जानते है ।हम जो चांवल खाते है वो धान की फसल से प्राप्त होता है धान का वैज्ञानिक नाम ओराय्जा सैटिवा है ।नवंबर का माह धान के फसल पकने का माह है । भारत एक कृषि प्रधान देश है पूरे विश्व में भारत में ही कृषि भूमि सर्वाधिक है ।धान जिससे राइस प्राप्त होता है हमारे देश के लोगो का मुख्य भोजन है अधिकांश लोग चांवल खाते हैं । चांवल से कई व्यंजन भी बनाया जाता है । विश्व में मक्का के बाद चांवल दुसरा सर्वाधिक उपज होने वाला अनाज है ।सर्वाधिक चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल हैं जबकि धान का कटोरा छत्तीसगढ़ राज्य को कहा जाता है ।छत्तीसगढ़ में आप कही भी चले जाए चारो ओर खेत धान से लहलहाते दिखेंगे।विश्व में सर्वाधिक चांवल चीन उत्पादन करता है ।उसके बाद भारत का नाम आता है ।तीसरे स्थान पर इंडोनेशिया है ।चावल के नाम तो आप लोग सुने होगे जैसे एच.एम.टी,बासमती,साम्भर,श्रीराम सरोना,महामाया,दूबराज,तुलसी माला आदि । अब तो और वेरायटी के धान आ चुके हैं नर-नारी ,28-28 ,कोमल, 1001,1010,संकर किस्म आदि ।प्राय:जून के माह में खरीफ फसल बोई जाती है भारत में मानसून इसी माह सक्रिय होता है कुछ शेष भागो को छोड़कर ।धान 5 माह में पूरा पक जाता है जल्दी पकने वाले धान में हरोना किस्म के धान 4 माह में पक जाता है । किसान को बीज बोने से लेकर बाली आने तक फसल को सुरक्षित रखना होता है । बहुत मेहनत करनी पड़ती है ।मानसून पर निर्भर रहने के कारण पानी की समस्या बनी रहती है बोते समय अच्छी बारिश हुई तो अधिकांश बीज अंकुरित हो जाते हैं जो बाद में नन्हा पौधा बन जाते है । इन पौधो में न्यून मात्रा में खाद जैसे यूरिया डी.ए.पी. या जैविक खाद डाला जाता है जो पौधो को आसानी से बढ़ाता हैं । पौधो के साथ साथ खरपतवार (बन बूटा)उग आते हैं उसे निन्दई कर निकाला जाता है । आजकल इसे खत्म करने के लिये दवाई का छिड़काव करते है जो केवल खरपतवार को नष्ट करते है और धान की फसल सुरक्षित रहता है थोड़ा फसल कमजोर हो जाता है लेकिन खाद डालने से सम्भल जाता है ।समय के साथ साथ पौधा बढ़ता जाता है मौसम साफ एवं अच्छी बारिश होने पर फसल अच्छा रहता है अर्थात धूप भी मिलना चाहिए अधिकतर जुलाई अगस्त माह बादल से घिरा रहता है ।
बीमारिया होने पर कीटनाशकों का छिड़काव भी करते है । धान की प्रमुख बीमारी में ब्लास्ट,तना छेदक,बदरा व माहूँ का प्रकोप है । कवक जीवाणु व विषाणुओ के कारण से यह रोग होता है ।समय पर रहते कीटनाशकों का छिड़काव कर देना चाहिए । पानी की सिचाई व खाद मध्य समय में देते रहना चाहिए ।शुरू में खरपतवार की सफाई करने के उपरांत कुछ खरपतवार और उग आते है जिसे निन्दई कर निकाला जाता है इसके लिए बनिहार(मजदूर ) की आवश्कता होती है ।जो खेतो में पहुच कर हाथो से उसे निकालते हैं । जानवरो जैसे गाय,बैल,बरहा,हाथी आदि से भी फसल को नुकसान होता है ।इसके लिये खेत के चारो ओर तार या काटो का घेरा लगाते हैं । अक्टूबर माह में फूल आने लगते है जो माह के अन्त तक फल में तब्दील हो जाते हैं नवंबर माह में ये पूरी तरह पक जाते है ।
इस तरह से खुले में आसमान रहकर बारिश में भीगकर कड़ी धूप में हमारे किसान-मजदूर मेहनत करते है ।खून पसीना एक करते हैं ।धान का उत्पादन करते है ।
आजकल तकनीक का इस्तेमाल खेती में किया जाने लगा है ट्रेक्टर,थ्रेसर,हार्वेस्टर जो कम समय व कम मजदूर में काम सम्पन्न कर देते है ।मनुष्य के लिए यह वरदान साबित हुआ है ।अधिकतर किसान पर श्रम का भार अधिक हो जाता है जिससे कुपोषण व मानसिक शिकार हो जाते है । दुनिया में दो तरह के लोग है एक जो काम की अधिकता से दबे जा रहे हैं और दुसरा जो शारीरिक श्रम कम व मानसिक कार्य के बोझ तले दबे हैं ।अन्त में उतना ले थाली में व्यर्थ ना जाये नाली में ।