26 नवंबर को संविधान दिवस पूरे भारत में मनाया जाता है । देश के शैक्षणिक संस्थानों एव शासकीय मुख्यालय में इस दिन डॉ भीमराव अम्बेडकर के छायाचित्र पर पुष्पहार चढ़ाते व दीपक प्रज्वलित करते हैं । बच्चो को डॉ अंबेडकर के जीवनी से परिचित कराया जाता है ।संविधान की कुछ जानकारी दे दी जाती है । हम संविधान बनने से लेकर अब तक कहां पहुचें है ।देश का हर नागरिक सविधान की किताब में क्या क्या लिखा है इसकी जानकारी रख पाया है । क्या संविधान का कोई अनुच्छेद हमें अपने अंदर प्रवेश करने की युक्ति देता है ।क्या सविंधान में ऐसा कोई कायदा कानून बना है जिससे मनुष्य अपने स्व को जानने उस रास्ते पर जाने को बाध्य करे।
आइये जाने भीमराव अम्बेडकर कौन थे? कहते है अंबेडकर जिस जाति में जन्म लिया था वे उस समय अछूत कहलाते थे । विद्यार्थी जीवन में उसे अलग बैठना पड़ता था ।14 अप्रैल सन 1891 में ब्रिटिश भारत के मध्य प्रांत(मध्य प्रदेश) स्थित महू नगर सैन्य छावनी में जन्मे थे । अंबेडकर के पिता श्री राम जी वल्द मलोजी सकपाल और माता भीमा बाई थी ।अछूत महार जाति में जन्म लिए अंबेडकर का परिवार कबीर पंथ को मानने वाले थे ।रमा बाई एवं डॉ सविता अंबेडकर उसकी पत्नी थी ।अंबेडकर अपने जाति वर्ग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति थे।
अम्बेडकर के अनुसार "सच्चा धर्म वो ही है जिसका केन्द्र मनुष्य तथा नैतिकता हो, विज्ञान अथवा बौद्धिक तत्व पर आधारित हो, न कि धर्म का केन्द्र ईश्वर, आत्मा की मुक्ति और मोक्ष। साथ ही उनका कहना था धर्म का कार्य विश्व का पुनर्निर्माण करना होना चाहिए ना कि उसकी उत्पत्ति और अंत की व्याख्या करना।" वह जनतांत्रिक समाज व्यवस्था के पक्षधर थे, क्योंकि उनका मानना था ऐसी स्थिति में धर्म मानव जीवन का मार्गदर्शक बन सकता है। ये सब बातें उन्हें एकमात्र बौद्ध धर्म में मिलीं।6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया । बौध्द धर्म से प्रेरित होकर उसने हिन्दू से बौध्द धर्म अपनाया। उनके शब्द "मैं बुद्ध के धम्म को सबसे अच्छा मानता हूं। इससे किसी धर्म की तुलना नहीं की जा सकती है। यदि एक आधुनिक व्यक्ति जो विज्ञान को मानता है, उसका धर्म कोई होना चाहिए, तो वह धर्म केवल बौद्ध धर्म ही हो सकता है। सभी धर्मों के घनिष्ठ अध्ययन के पच्चीस वर्षों के बाद यह दृढ़ विश्वास मेरे बीच बढ़ गया है।"
30 से अधिक पुस्तक उन्होंने लिखी अन्तिम पुस्तक भगवान बुद्ध और उनका धम्म यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है।इस ग्रन्थ में डॉ॰ अम्बेडकर ने भगवान बुद्ध , महात्मा बुद्ध के विचारों की व्याख्या की है। यह तथागत बुद्ध के जीवन और बौद्ध धम्म के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालता है। यह डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित अंतिम ग्रन्थ है।
सविधान सभा के निर्माण में डॉ अंबेडकर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है । 2 वर्ष 11माह 18 दिनो में संविधान का निर्माण हुआ । अपने जीवन काल में अस्पृश्यता की यातना झेलनी पड़ी थी जिसका असर संविधान पर दिखा ऐसा नियम लागू किया जिससे नीची जाति के लोग का संरक्षण बना जो उसके जीवन में सुरक्षा का सबसे बड़ा कारण है । लंबे समय से ये वर्ग छूआछूत से पीड़ित थे जिसका परिणाम आगे आने वाले अन्य वर्ग के लोगो को संरक्षण में झेलनी पड़ रही है । आज सरक्षण का मुद्दा कितना गम्भीर हो गया है ।
क्रान्ति तभी घटित होगी जब हम थोड़ा सोच विचार करेंगे जब हम अपने अन्दर डूबेंगे अपने का पता नही है अपने ऊपर हो रहे हिंसा को समझ नही पा रहे हैं तो गैरो का क्या? हम भेड़ की तरह हो जाते है की भीड़ में एक ने कही बात सब मान लेते है । खैर; सविधान के बनने से देश एकता के सूत्र में बन्धे उसकी व्यवस्था से राष्ट्र आगे पथ पर अग्रसर हो रहा है ।