हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष जगन्नाथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होकर आषाढ़ शुक्ल की दशमी तक चलती है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं और इनके साथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी होते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पुरी के मंदिर से निकलते हुए गुंडिचा मंदिर जाती है। इस गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीनों ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तक रुकते हैं। फिर इसके बाद वापस अपने पुरी के मंदिर में वापस लौट आते हैं। इस रथ को देखने के लिए और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए देश-दुनिया से भक्त बड़ी संख्या में पुरी आते हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर के कुछ आश्चर्य सभी को चौंकाते हैं...
1- मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ते कोई भी पक्षी
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के बारे में एक चौकाने वाली बात है कि इस मंदिर के ऊपर से कभी भी कोई पक्षी नहीं उड़ता हुआ दिखाई देता। इसके अलावा इसके ऊपर कोई भी हवाई जहाज नहीं गुजरता है।
2-नहीं पड़ती मंदिर के गुंबद की परछाई
भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ऊपरी हिस्सा यानि गुंबद विज्ञान के इस नियम को चुनौती देता है, क्योंकि दिन के किसी भी समय इसकी परछाई नजर नहीं आती।
3-यहां बहती है उल्टी हवा
समुद्री इलाकों में हवा का बहाव दिन के समय समुद्र से धरती की तरफ होता है जब कि शाम को उसका रुख बदल जाता है। हवा धरती से समुद्र की ओर बहने लगती है लेकिन यहां चमत्कार है कि हवा दिन में धरती से समुद्र की ओर व शाम को समुद्र से धरती की ओर बहती है।
4- मंदिर के अंदर नहीं सुनाई देती समुद्र के लहरों की आवाज
जगन्नाथ मंदिर में सिंह द्वार से प्रवेश करने पर आप समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुन सकते लेकिन मंदिर से एक कदम बाहर आते ही लहरों की ध्वनि सुनाई देने लगती है।
मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह से कराया जाता है कि वहा के आस पास की हवा या ऊर्जा क्षेत्र से हम अपने अन्दर झाक सके वहा ध्यान कर सके और ये मंदिर हमे अंदर डूबाने प्रवेश कराने में मदद करते है ।इसकी रूपरेखा इस तरह से तैयार की जाती रही है कि साधक अपने अन्दर झांक सके मंदिर उसके इस साधना में और गति ला देता है इसलिए मंदिर को पवित्र मानते है और शांत रहकर वहाँ पूजा प्रार्थना किया जाता है ।
लोग अब भुल गए है मंदिर की क्या महत्ता थी अब केवल काम चलाऊ लोग भ्रमण करने मंदिर जाते है।नारियल ,प्रसाद चढ़ा आते है। बड़े बड़े मंदिर में घण्टो रहकर ध्यान व प्रार्थना करना चाहिए। मंदिर के पीछे का यही एकमात्र उद्देश्य रहा है ।
save tree🌲save earth🌏&save life❤