अभी पिछले 7 सालो में संचार के साधनो में बेतहाशा वृद्धि हुई है । टीवी रेडियो के बाद मोबाइल ने तो क्रांति ला दी है । व्हाट्सप , यूट्यूब ,फ़ेस बुक व टेलीग्राम ऐप्प आदि के जरिये लोग अपना विचार व्यक्त कर रहे हैं । घर बैठे लोग किसी तथ्य पर टिप्पणी कर रहे है या अपना विचार व्यक्त कर रहे है । पत्रकार भी आसानी से लोगो की समाचार मीडिया के माध्यम से दे रहे है ।संचार के साधनो के उपकरण से दुर्गम स्थान की जानकारी मात्र एक क्लिक करते मुख्यालय तक पहुंच जाती है व एक क्लिक से पुरे विश्व में शेयर कर दी जाती है जिसे अरबो लोग सुन सकते है देख सकते है व अपनी राय भी दे सकते है।
मीडिया की स्वंतत्रता से देशो की दुरी कम हुई है । लोगो तक अपनी बात पहुंचाने में कारगार साबित हुआ है । अपराधियो को बेनकाब करने वीडियो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । समाचार वायरल में चैनल की तो भरमार है । किसी खास व्यक्ति की विशेषता बताने या पोल खोलने में मीडिया समाज का दर्पण है । किसी देश की संस्कृति से परिचित कराने में देश की राजनीतिक खबर, वन्य प्राणी की जानकारी ,पुरातन काल की जानकारी शहरो से लेकर गाँवो तक की समाचर लोगो तक पहुँचाने में व मनोरंजन के क्षेत्र में मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इस स्वतंत्रता से आपराधिक मामले में पुलिस को आसानी से सबूत उपलब्ध हो जाता है ।दुश्मनों की निजी जानकारी प्रदान करने के लिए मीडिया का सहारा लिया जाता है । इस तरह से मिडिया ने समाज में लोगो के दिलो दिमाग में क्रांति ला दी है ।
मिडिया की स्वतंत्रता से मनुष्य जाति को लाभ तो हुआ है । लेकिन इसके दुरुपयोग भी है गलत तरीको के प्रचार प्रसार से देश को अहित होता है एक गलत जानकारी या भ्रामक जानकारी प्रसारित करने से लोगो में संचय की भावना पैदा होती है । सम्प्रदायिक दंगे तक हो जाते है । अश्लील विचार या वीडियो से समाज के सभी वर्गो का अहित होता है । बच्चे युवा इसके शिकार होते है । सभी लोगो की स्वतंत्रता सकारात्मक नही होती नेगेटिव विचार अपना पैर जमा ही लेता है । मिडिया का इस तरह दुरुपयोग से जन धन की हानि होती है । गलत छवि लोगो के मानस पटल पर अंकित होती है । इस पर कानून भी बनना चाहिए ।
वर्तमान समय में मीडिया के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है। कल्पना करे आपके पास मिडिया जानकारी न पहुचाए व उसके कोई साधन उपलब्ध न हो तो क्या होगा। आज पर्यावरण संरक्षण के लिए मीडिया उपयोगी है । जो तथ्य कागज से लिया जाता है था आज देख व सुन लिया जाता है । भारत क्या विश्व के संविधान में मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कानून बनना चाहिए ।