ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती ।
अभी खिले हो नव रस लिए हो
हो जाओ अभी समर्पित
कर जाओ भक्ति अर्पित
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती ।1।
प्रफुल्लित हवा मदहोश खुशबू है
मनभावन नदी की धार रुख है
भेद पड़ता है कालचक्र का
बचाए रखना अपनी कान्ति
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती।2।
पसंद करते है सभी तुझे
सम्मान करते है सभी तुझे
सीने से लगा लेते
यथार्थ जीवन में न पालना भ्राँति
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती।3।
अभी अभी था खिला
शाख गुल में था मिला
शाम मुरझाने को है
घर जाने को है बसंती
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती।4।
क्षण भर की है जवानी
बस इतनी प्रेम कहानी
तो क्यो करना मनमानी
खिलाए जा फूल प्रेम सेवन्ती
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवंती।5।
वो निचोड़कर तुम्हारा रस
कोई इत्र निकाले
भेट कर जाओ जीवन
युग मनाए तुम्हारा जयंती
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवन्ती।6।
बिन मेहनत मिला अमूल्य पिण्ड
वरदान है प्रभु का
जीवन का रंग बिखरने से पहले
सम्भल जाओ अंकल हो या आंटी
ए रे बैजन्ती क्या तुम्हारे घर है सेवन्ती।7।
save tree 🌲save earth🌏 &save life ♥️