किसकी कमी जो मै लिखूंगा
कौन सी गाठ पड़ गया
जो कलम की स्याही
बनकर उतर रहा है ।
अपूर्णता का भाव या
अतीत का दमन जो
नासूर बनकर उभरता
तराजू सन्तुलन में नही
किसी एक तरफ झुका
रहता था बाजार में
डर,शर्म आखिर वजह क्या?
खुलकर नही जिया बचपन
पंख आसमां तक नही फैला
आज वो पिघलने को है
कलम की स्याही बन
उतरने को है ।
Save tree🌲save earth🌎& Save life♥️